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ओलावृष्टि के बाद गायघाट में सैकड़ों एकड़ फसल बरबाद

मुजफ्फरपुर : मक्का की फसल लगा कर किसान फिर माथा पीट रहे हैं. सैकड़ों एकड़ में फसल लगी थी. किसानों को फसल से बेहतर उत्पादन की उम्मीद थी. लेकिन, इस बार की फसल को कॉब बोरर (तना छेदक की विशेष प्रजाति) ने बरबाद कर दिया. यह पौधे में लगी बालियों (भुट्टे) में दाने भी नहीं […]

मुजफ्फरपुर : मक्का की फसल लगा कर किसान फिर माथा पीट रहे हैं. सैकड़ों एकड़ में फसल लगी थी. किसानों को फसल से बेहतर उत्पादन की उम्मीद थी. लेकिन, इस बार की फसल को कॉब बोरर (तना छेदक की विशेष प्रजाति) ने बरबाद कर दिया. यह पौधे में लगी बालियों (भुट्टे) में दाने भी नहीं आये हैं.

थोड़ा बहुत आये हैं, तो वह भी खोखला है. उसमें कीड़े लगे हैं. ज्यादा बालियों व पौधों में कॉब बोरर छिप कर उसे चट कर रहा है. किसानों का कहना है कि इस प्रकार का कीड़ा इस इलाके में पहली बार मिल रहा है. पौधे व बालियों में छिप कर उसे बरबाद कर रहा है. कमोबेश गायघाट के सभी इलाकों में तेजी से फैल गया है.

मक्के की फसल
इसका प्रजनन भी काफी तेजी से हो रहा है. पुरवा हवा इसके प्रजनन व विकास में मदद कर रहा है. 80 फीसदी पौधे इसकी चपेट में है. बाकी रोगग्रस्त हो रहा है. इस कीड़े के शिकार पौधों को एक किसान कम-से-कम पांच बोझा प्रतिदिन काट कर मवेशियों का निवाला बना रहे हैं.
हवा चलने पर पौधे हो रहे धराशायी, बाली में दाने भी नहीं
कमरथू के राम लायक सिंह बताते हैं कि 10 मार्च को इस इलाके में काफी ओला पड़ा था. हजारों एकड़ में लगे पौधे चोटिल हो गये थे. पत्तियां भी टूट कर बरबाद हो गयीं. जहां चोटिल हुए वहां चीटियां लगने लगीं. बाद में उन पौधों में छिद्र होने लगा. पौधे बीमार होने लगे. जिन पौधों में कॉब बोरर का प्रकोप हो गया, उस पौधे की बालियों में दाने नहीं बने. जो दाना बना, वह भी पुष्ट नहीं था. हवा चलने पर मक्के के पौधे धराशायी हो रहे हैं.
स्थानीय मुखिया वीरन राम बताते हैं कि यह हाल कमरथू, लोमा, कांटा पिरौछा, दहिला पटशर्मा, जारंग समेत कई पंचायतों में है. किसान खेती में लाखों रुपये लगा कर माथा पीट रहे हैं, लेकिन वो क्या कर सकते हैं? प्रखंड में कोई भी काम उचित तरीके से नहीं होता है. ऐसे में किसानों की उम्मीदें टूट रही हैं.
मक्के से फूटी कौड़ी भी आ जाये, तो कहना
स्थानीय वकील सहनी की पत्नी पुनिया देवी व उसका बेटा कमलेश खेत में मक्का देख कर माथा पीट रहा था. कमलेश ने अपनी मां से कहा, पापा व हम बाहर से कमा कर लाते हैं, तुम उसे मनखप की खेती में खर्च कर देती हो. इस बार खेती से फूटी कौड़ी भी निकल गयी, तो फिर कहना? पुनिया देवी बताती है नौ कट्ठे में 15 हजार रुपये खर्च कर खेती की थी. बेटा व पति दोनों से डांट सुन रहे हैं. श्याम नंदन बाबू की जमीन है. 20 मन यानी आठ क्विंटल सालाना मनखप पर खेत लिया था. उत्पादन तो हुआ नहीं, कहां से अनाज देंगे, यह चिंता मुझे खाये जा रही है. स्थानीय मुकेश सिंह, राकेश सिंह व शिवनरेश सिंह बताते हैं कि यह हाल पूरे प्रखंड में है. कीड़ा ने फसल चट कर किसानों के समक्ष बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है. ऐसी हालत काफी दिनों बाद हुई है.
अधिकारी बोले
मक्के में कॉब बोरर का प्रकोप है. पुरवा हवा के कारण इसकी संख्या काफी तेजी से बढ़ती है. फसल में मोचा तो आता है, लेकिन दाना नहीं बन पाता है. यह कीड़ा दाने की दूध पी जाता है. बाली में प्रवेश कर दाना खा जाता है. पौधे की जड़ से थोड़ा ऊपर यह काफी तेजी से हमला करता है. इसकी शिकायत मिल रही है. किसानों को इसके नियंत्रण का सुझाव भी दिया जा रहा है.
गोपाल शरण प्रसाद, उपनिदेशक, पौधा संरक्षण विभाग, तिरहुत प्रमंडल
प्रतिदिन दो से पांच बोझा फसल को बना रहे मवेशियों का निवाला
कमरथू, लोमा
कांटा पिरौछा,
दहिला पटशर्मा व जारंग समेत कई गांवों में यह हाल
किसानों को इस बार फूटी कौड़ी आमदनी की आस नहीं

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