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सम्मान पाकर गद्गद हुए स्वतंत्रता सेनानी व आश्रित

शुभनारायण शर्मा के आवास पर पहुंचे डीएम, शॉल ओढ़ाया, प्रतीक चिह्न दिये मुजफ्फरपुर : चंपारण सत्याग्रह स्मृति समारोह के अवसर पर सोमवार को देशभर के स्वतंत्रता सेनानियों का पटना में सम्मान हुआ. लेकिन, उस संग्राम के कुछ ऐसे भी हीरो हैं, जो किसी कारणवश पटना नहीं जा सके. सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने […]

शुभनारायण शर्मा के आवास पर पहुंचे डीएम, शॉल ओढ़ाया, प्रतीक चिह्न दिये

मुजफ्फरपुर : चंपारण सत्याग्रह स्मृति समारोह के अवसर पर सोमवार को देशभर के स्वतंत्रता सेनानियों का पटना में सम्मान हुआ. लेकिन, उस संग्राम के कुछ ऐसे भी हीरो हैं, जो किसी कारणवश पटना नहीं जा सके. सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने खुद उनके द्वार पहुंच कर उनका सम्मान किया. इसी कड़ी में डीएम धर्मेंद्र सिंह गन्नीपुर के चतुर्भुज ठाकुर मार्ग स्थित शुभनारायण शर्मा (86) के आवास पर पहुंचे. उन्हें शॉल, चंपारण सत्याग्रह स्मृति समारोह का प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया. मौके पर श्री शर्मा के छोटे पुत्र शिवचंद्र शर्मा व अन्य परिजन मौजूद थे. उनके बड़े पुत्र उमेशचंद्र शर्मा फिलहाल अपने गांव में रह रहे हैं.

डीएम से मुलाकात के दौरान पुरानी यादों को ताजा करते हुए शुभनारायण शर्मा ने बताया कि वे मूलरूप से कांटी थानाक्षेत्र के सोती भेड़ियाही गांव के रहने वाले हैं. वर्ष 1942 में गांधीजी से प्रेरित होकर वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे. उन्होंने गांव से गुजर रही रेलवे लाइन को उखाड़ दिया था. डाकघर में भी आग लगाने वालों में वे शामिल थे.

इस घटना के बाद अंग्रेजों से बचने के लिए वे नेपाल भाग गये. करीब एक साल तक वहां रहे. वर्ष 1943 में जब वे वहां से लौटे, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. करीब छह माह तक वे जेल में रहे. वर्ष 1945 में वे हिन्दुस्तान स्काउट से जुड़ गये, जो आजादी के बाद भारत स्काउट-गाइड के नाम से जाना जाता है. उन्होंने करीब 56 साल तक संस्था में चंपारण के जिला संगठन आयुक्त के रूप में काम किया. इसके बाद हजारीबाग में इसी संस्था में रीजनल ऑर्गेनाइजेशन आयुक्त के रूप में काम किया. बाद में वे बिहार के सहायक रीजनल ऑर्गेनाइजेशन आयुक्त भी बने.

उन्हें तिरहुत व सारण प्रमंडल का इंचार्ज बनाया गया था. वर्ष 1996 में वे सेवानिवृत्त हुए. शुभनारायण शर्मा के बड़े पुत्र उमेशचंद्र शर्मा के बेटे चित्तरंजन कुमार शर्मा भी फिलहाल धनबाद में भारत स्काउट-गाइड के जिला संगठन आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं. डीएम ने परिजनों से कहा, कोई भी दिक्कत या परेशानी हो, तो वे बेझिझक उनसे मिलें. उसे दूर किया जायेगा. वर्ष 1942 में गांधीजी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम के कूदे थे

कांटी प्रखंड के सोती भेड़ियाही

के हैं मूल निवासी

रेललाइन उखाड़ने व डाकघर में आग लगाने का लगा था आरोप

अंग्रेजों से बचने के लिए नेपाल भागना पड़ा था

बे समय से भारत स्काउट-गाइड से भी जुड़े रहे

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