नाट्य निर्देशक संजीत किशोर ने साझा कीं यादें
मुजफ्फरपुर : गांधी हेरिटेज का निर्देशन मेरे लिए चुनौती भरा काम था. नाट्य निर्देशन तो मैं दर्जनों बार कर चुका हूं, लेकिन हेरिटेज वाक उससे अलग था. इसमें कोई भी पेशेवर कलाकार नहीं था. सभी अनट्रेंड थे. उन्हें नाटक की भाषा समझाने में परेशानी हुई. उक्त बातें निर्देशक संजीत किशोर ने कहीं. पांच दिनों तक चले हेरिटेज वाक को सफलतापूर्वक निभाने में उनकी बड़ी भूमिका थी. उन्होंने कहा कि अभिनय करने वाले सभी विद्वान थे, इस कारण भी उन्हें भूमिका के रूप में लाना मुश्किल काम था. बावजूद मैंने मेहनत की. नतीजा मुख्यमंत्री ने भी एलएस कॉलेज ग्राउंड में आयोजित गांधी-विल्सन वार्ता की सराहना की.
उन्होंने कहा था कि ऐसा लगा कि सचमुच वे 1917 में पहुंच गये हों. इससे मुझे संतुष्टि मिली. मुझे लगा कि मेरी टीम ने अच्छा काम किया है. संजीत किशोर ने कहा कि इसके रिहर्सल में काफी मुश्किलें आयी थीं. गांधी की भूमिका कर रहे डॉ भोजनंदन प्रसाद गांधी मर्मज्ञ थे. संवाद के क्रम में वे स्क्रिप्ट से अधिक बोल जाते थे. इस कारण विल्सन वालेपात्र को अपने संवाद बोलने में परेशानी होती थी. यह क्रम अंतिम दिन के रिहर्सल तक जारी रहा. लेकिन सीएम के सामने प्रस्तुत नाटक में दोनों पात्रों ने बहुत अच्छी तरह से गांधी व विल्सन को जीवंत किया.