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मेरे दादा असली ‘गया बाबू’

एक वकील का दावा. 11 अप्रैल 1917 को गांधी जी उनके नयी बाजार स्थित आवास पर आये थे मुजफ्फरपुर : चंपारण सत्याग्रह के लिए महात्मा गांधी 10 अप्रैल 1917 की देर रात मुजफ्फरपुर आये थे. उसके अगले दिन, यानी 11 अप्रैल 1917 को प्रसिद्ध वकील रामनवमी प्रसाद की सलाह पर वे यहां के एक दूसरे […]

एक वकील का दावा. 11 अप्रैल 1917 को गांधी जी उनके नयी बाजार स्थित आवास पर आये थे

मुजफ्फरपुर : चंपारण सत्याग्रह के लिए महात्मा गांधी 10 अप्रैल 1917 की देर रात मुजफ्फरपुर आये थे. उसके अगले दिन, यानी 11 अप्रैल 1917 को प्रसिद्ध वकील रामनवमी प्रसाद की सलाह पर वे यहां के एक दूसरे प्रसिद्ध वकील गया बाबू के घर जा कर ठहरे. अब तक की मान्यता है कि गया बाबू और कोई नहीं, क्लब रोड निवासी स्वर्गीय गया प्रसाद सिंह थे. हेरिटेज वाक के दौरान कलाकारों को वहां ले जाने का भी कार्यक्रम तय है. लेकिन, अब इसमें एक नया मोड़ आ गया है. नयी बाजार निवासी व पेशे से वकील वैष्णो शंकर मेहरोत्रा ने प्रमंडलीय आयुक्त को पत्र लिख कर दावा किया है कि जिस गया बाबू के घर गांधी जी आये थे,
वे उनके दादा स्वर्गीय गया प्रसाद थे. पत्र की कॉपी मुख्यमंत्री, डीएम व अपर समाहर्ता राजस्व को भी भेजी गयी है. इसमें कहा गया है कि ‘सरकारी आयोजन में गलती न हो, अत: इस बात की पूरी तसल्ली करने के बाद ही इस आयोजन को सही स्थल पर किया जाये.’ उनके इस दावे से प्रशासन असमंजस में है.
गुरुवार को अपर समाहर्ता राजस्व ने इस मामले में डीएम धर्मेंद्र सिंह के साथ वार्ता की. देर शाम चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष के अवसर पर होने वाले ‘हेरिटेज वाक’ के लिए गठित कमेटी के सदस्यों के साथ भी प्रशासन ने इस मुद्दे पर चर्चा की. वैष्णो शंकर मेहरोत्रा का दावा है कि उस समय गया बाबू नाम के उनके दादा जी जिले के अकेले वकील थे. उनके पूर्वज मूल रूप से वैशाली जिला के जंदाहा के रहने वाले थे. वहां उनके दादा जी द्वारा निर्मित पुलिस एवं जंदाहा रोगी भवन (अस्पताल) है, जिसका उद्घाटन प्रसिद्ध क्रांतिकारी बाबू गणेशदत्त ने 06 फरवरी, 1927 को की थी. इसकी पुष्टि के लिए उस उद्घाटन समारोह के आमंत्रण पत्र की प्रतिलिपि भी प्रशासन को दी गयी है. अपने आवेदन में उन्होंने बताया है कि नयी बाजार में उनके पूर्वजों द्वारा वर्ष 1890 के आस-पास निर्मित मकान आज भी कायम है.
चंपारण सत्याग्रह

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