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एस्सेल व निगम आमने-सामने
निगम की बिजली काटने पर ठनी रार मुजफ्फरपुर : बकाया बिजली बिल एवं होल्डिंग टैक्स भुगतान को लेकर नगर निगम व एस्सेल एक बार फिर आमने-सामने है. दोनों एक-दूसरे पर करोड़ों के बकाया होने का आरोप लगा रहे हैं. इसी कड़ी में एस्सेल ने शुक्रवार की सुबह कंपनीबाग स्थित नगर आयुक्त आवास एवं निगम के […]
निगम की बिजली काटने पर ठनी रार
मुजफ्फरपुर : बकाया बिजली बिल एवं होल्डिंग टैक्स भुगतान को लेकर नगर निगम व एस्सेल एक बार फिर आमने-सामने है. दोनों एक-दूसरे पर करोड़ों के बकाया होने का आरोप लगा रहे हैं. इसी कड़ी में एस्सेल ने शुक्रवार की सुबह कंपनीबाग स्थित नगर आयुक्त आवास एवं निगम के प्रशासनिक भवन की बिजली काट दी. एस्सेल का कहना है कि बार-बार नोटिस देने के बाद भी बकाया करीब 58 करोड़ रुपये का भुगतान नगर निगम नहीं कर रहा है. इसके बाद नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के नियम-कानून के तहत नगर निगम के ऊपर कार्रवाई की गयी है.
फिलहाल पब्लिक से जुड़ी चीजें (निगम के पानी पंप, स्ट्रीट लाइट आदि) की बिजली नहीं काटी गयी है. कंपनी के मुताबिक आवश्यकता पड़ने पर निगम के एमआरडीए समेत अन्य भवनों की भी बिजली काटी जायेगी. हालांकि, नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन को जब इसकी जानकारी मिली. तब उन्होंने इसे काफी गंभीरता से लिया है. कहा कि कंपनी ने नगर निगम की बिजली काट गलत किया है. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि कंपनी को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा. नगर निगम भी अब बकाया प्रॉपर्टी टैक्स भुगतान को लेकर एस्सेल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा. 2014 में भी निगम की काटी गयी थी बिजली. एस्सेल ने 2014 के नवंबर माह में 54 करोड़ बकाया होने का आरोप नगर आयुक्त आवास, प्रशासनिक भवन के अलावा पानी पंप एवं स्ट्रीट लाइटों की बिजली काट दी थी. तब के नगर आयुक्त ने सख्ती बरतते हुए होल्डिंग टैक्स भुगतान नहीं करने के कारण एस्सेल ऑफिस में तालाबंदी करने का निर्देश दिया था.
इसके बाद कंपनी ने जिस रफ्तार से बिजली काटी थी. उसी रफ्तार से दोबारा कनेक्शन को भी जोड़ने का काम किया था. बाद में जब मामला तूल पकड़ा तब कंपनी के अधिकारियों ने तत्कालीन डीएम अनुपम कुमार से गुहार लगायी थी. इसके बाद डीएम ने दोनों पक्ष को बैठा एक-दूसरे का बकाया राशि का समायोजन कर भुगतान का निर्देश दिया था. उस समय हिमांशु शर्मा ने 49.74 करोड़ रुपये सलाना होल्डिंग टैक्स भुगतान करने का नोटिस एस्सेल को भेजा था.
… कोट …
हमे बकाया बिजली बिल से मतलब है. निगम को सरकार के समय का एरियर को छोड़ फ्रेश 11.75 करोड़ का बिल भेजा गया है. इसमें से 1.08 करोड़ निगम का होल्डिंग टैक्स बनता है. बिल से होल्डिंग टैक्स को घटा कर निगम कंपनी का बकाया राशि जमा कर दे. इसके बाद हम कनेक्शन जोड़ेंगे. निगम को कई बार पत्र भी लिखा गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. हमने जो कार्रवाई की है वह सरकार के दिशा-निर्देश के बाद की गयी है.
आशीष राजदान, जीएम कॉरपोरेट एस्सेल
कंपनी की मनमानी है. निगम का एक अरब 98 करोड़ बकाया है. कंपनी को कई बार नोटिस भेजा गया, लेकिन राशि की भुगतान नहीं की जा रही है. उल्टे निगम की बिजली काट दी गयी है. हम कंपनी को शनिवार को लीगल नोटिस भेजेंगे. इसके बाद कंपनी के अधिकारियों के ऊपर कानूनी कार्रवाई करते हुए पहले सर्टिफिकेट केस करेंगे फिर आवश्यकता पड़ने पर बॉडी वारंट निकालने तक की प्रक्रिया को पूरी की जायेगी.
रमेश प्रसाद रंजन, नगर आयुक्त
एस्सेल पर बकाया है करोड़ों का होल्डिंग टैक्स
एस्सेल शहर में नवंबर 2013 से बिजली की सप्लाई कर रही है, लेकिन नगर निगम के मुताबिक एक भी रुपये अब तक बतौर होल्डिंग टैक्स नहीं जमा किया गया है. 2014 में जब बिजली काटी गयी थी. उस वक्त एस्सेल पर नगर निगम ने 49.74 करोड़ रुपये सलाना के हिसाब से बकाया होने का दावा ठोका था. निगम की ओर से नगर पालिका एक्ट का हवाला देत हुए निगम क्षेत्र में 15 हजार बिजली के खंभे होने की बात बतायी गयी थी.
इसके अलावा कई सब-स्टेशन हैं. ये काम निजी कंपनी अपने फायदे के लिए कर रही है. इसलिए उसे आमदनी का 2.5 फीसदी टैक्स के रूप में देना होगा. तब एस्सेल को वर्ष 2013 से ही निगम ने प्रति वित्तीय वर्ष 49.74 करोड़ देने का नोटिस भेजा था.
बता दें कि एस्सेल के दो पावर सब स्टेशन चंदवारा व मिठनपुरा निगम की जमीन पर हैं. जिनका अभी तक किराया नहीं दिया गया है. पहले जब बिजली की सप्लाई सरकार की ओर से की जाती थी, तब भी किराये का भुगतान नहीं हुआ है. निगम का कहना है कि 1951 से अब तक बिजली विभाग की ओर से होल्डिंग टैक्स के रूप में एक भी रुपये निगम को नहीं दिये गये हैं, जबकि निगम ने बिजली बिल की एवज में अब तक 40 करोड़ से अधिक रुपये का भुगतान कर चुकी है.
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