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तीन अल्ट्रासाउंड सेंटरों से मांगा जायेगा स्पष्टीकरण
अनुपम, मेडिकेयर व ओम डायग्नोस्टिक सेंटर की केंद्रीय टीम ने की थी जांच स्वास्थ्य विभाग की पीएनडीटी एक्ट एडवाइजरी कमेटी ने दिया पांच दिनों का समय मुजफ्फरपुर : केंद्रीय टीम की रिपोर्ट के बाबत जांच किये गये अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को पीएनडीटी एक्ट की एडवाइजरी कमेटी की बैठक […]
अनुपम, मेडिकेयर व ओम डायग्नोस्टिक सेंटर की केंद्रीय टीम ने की थी जांच
स्वास्थ्य विभाग की पीएनडीटी एक्ट एडवाइजरी कमेटी ने दिया पांच दिनों का समय
मुजफ्फरपुर : केंद्रीय टीम की रिपोर्ट के बाबत जांच किये गये अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को पीएनडीटी एक्ट की एडवाइजरी कमेटी की बैठक बुलायी. बैठक में यह फैसला लिया गया कि जूरन छपरा स्थित अनुपम डायग्नोस्टिक सेंटर पर सबसे अधिक आपत्ति की गयी है.
रिपोर्ट में बिना लाइसेंस डॉक्टर की ओर से अल्ट्रासाउंड किये जाने, स्वास्थ्य विभाग की अनुमति के बिना दूसरा अल्ट्रासाउंड मशीन खरीदने, रजिस्टर मेंटेंन नहीं होने संबंधी शिकायत पर पांच दिनों के अंदर स्पष्टीकरण की मांग की जाये. इसके अलावा डॉ रंजू झा के मेडिकेयर डायग्नोस्टिक सेंटर व ओम डायग्नोस्टिक सेंटर से भी टीम की ओर से रजिस्टर मेंटेन नहीं होने व अल्ट्रासाउंड को मोडेल नंबर लाइसेंस में नहीं लिखे जाने के संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगे जाने का निर्णय लिया गया. एडवाइजरी कमेटी की अध्यक्षता सीएस डॉ ललिता सिंह ने की. इस मौके पर एसीएमओ डॉ सुधा श्रीवास्तव, डॉ अंजुम आरा, डॉ संगीता शाही, डॉ हसीब असगर व वरीय लिपिक गुणनंद चौधरी मुख्य रूप से मौजूद थे.
बंद रहे शहर के अधिकांश अल्ट्रासाउंड सेंटर : केंद्रीय कमेटी की ओर से अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच की जानकारी होने पर जूरन छपरा के अलावा शहर के अन्य क्षेत्रों में चल रहे अधिकांश सेंटरों पर ताला लटका रहा. अधिकांश गड़बड़ी वाले सेंटरों ने डर के कारण ताला भी नहीं खोला.
जानकारी हो कि शहर में कई ऐसे सेंटर हैं, जो पीएनडीटी एक्ट के तहत किसी भी नियम का पालन नहीं करते. कई सेंटरों ने तो लाइसेंस भी नहीं ले रखा है. इनके यहां अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टरों के पास भी अल्ट्रासाउंड करने का लाइसेंस नहीं हैं. इनके यहा मरीजों का नाम-पता व रेफर करने वाले डॉक्टर का नाम भी रजिस्टर में नहीं लिखा जाता. इससे संबंधित फॉर्म भी स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध नहीं कराया जाता. कमेटी की जांच की बात सुनने पर ऐसे संचालकों ने सेंटर बंद रखना ही मुनासिब समझा.
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