मुजफ्फरपुर : बजट से पूर्व दलहन की कीमत में गिरावट आयी है. दालें पहले से काफी सस्ती हो गयी हैं. कई जिंसों के भाव तीस रुपये तक गिरे हैं. दलहन के अलावा आटा व सरसों तेल भी सस्ता हुआ है. कीमतों में गिरावट से लोगों में खुशी है. बजट से पहले जरूरी सामान के सस्ते होने को लोग अच्छा संकेत मान रहे हैं, हालांकि दुकानदारों का कहना है कि नयी फसल आने के कारण कीमतों में गिरावट आयी है. ऐसा हर वर्ष होता है.
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20-30 रुपये सस्ती हुईं दालें बजट से पहले दलहन जिंसों के दाम गिरे
मुजफ्फरपुर : बजट से पूर्व दलहन की कीमत में गिरावट आयी है. दालें पहले से काफी सस्ती हो गयी हैं. कई जिंसों के भाव तीस रुपये तक गिरे हैं. दलहन के अलावा आटा व सरसों तेल भी सस्ता हुआ है. कीमतों में गिरावट से लोगों में खुशी है. बजट से पहले जरूरी सामान के सस्ते […]
भाव में गिरावट होने के बावजूद बाजार में जिंसों की दर स्थिर नहीं है. कई दुकानदार अभी भी बढ़ी हुई कीमतों में जिंस बेच रहे हैं, जबकि वर्तमान मूल्य में इनकी बिक्री करने पर कई व्यापारी घाटे में हैं. उनका पहले का स्टॉक कम हुई कीमतों में बिक रहा है. अंडी गोला स्थित किराना दुकानदार चंदन कुमार कहते हैं कि बाजार में जैसे ही भाव गिरा, हमलोग घटी दर पर दालें बेचने लगे.
अब 90 रुपये किलो मिल रही अरहर दाल
आटा-तेल का दाम भी कुछ गिरा
चना दाल के दामों में भी आयी कमी
जिंस वर्तमान भावएक सप्ताह पूर्व
चना दाल 100 120
मसूर दाल 60 70
अरहर दाल 90 120
मूंग दाल 80 100
उड़द दाल 120 150
चना 90 120
काबुली चना 130 140
आटा 24 26
गेहूं 24 26
सरसों तेल 104 110
दर प्रति किलो व लीटर
150 रुपये किलो हो गयी थी दाल
दाल के दाम बढ़ने पर जम कर राजनीति हुई थी. उस समय चुनाव में इसका जोर-शोर से प्रचार किया गया था, तब दाल के दाम 150 रुपये किलो तक पहुंच गये थे. अब जब दाल की कीमत पुराने स्तर के पास आ गयी है, तो इस पर चर्चा होती नहीं दिख रही है. अब भी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का प्रचार चल रहा है.
जमाखोरों के कब्जे से मुक्त हुई दाल
बताया जा रहा है कि जमाखारों के कब्जे से दाल के मुक्त होने के कारण भाव में 25 फीसदी तक कमी आयी है. दाल विक्रेता सुरेश अग्रवाल की मानें, तो दाल को छह महीने से अधिक स्टॉक नहीं किया जा सकता. इसके बाद ये खराब होने लगती है. पिछले महीने जिस तरह दाल की कीमतों में उछाल दिख रही थी, उससे स्टॉकिस्टों का विश्वास था कि कीमतें और बढ़ेगी, लेकिन अब खराब होने के डर से स्टॉकिस्ट दाल निकालने लगे हैं. इससे दाल की आपूर्ति अधिक हो रही है. दूसरी बात यह है कि दलहन की नयी फसल भी जल्दी आनेवाली है. इसका असर भावों पर पड़ा है.
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