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बार चुनाव की सरगरमी तेज, पोस्टरों से जता रहे दावेदारी
वर्ष 1985 से बैलेट पेपर से हो रहा चुनाव मुजफ्फरपुर : जिला बार एसोसिएशन का चुनाव अप्रैल में होना तय है. अप्रैल के दूसरे सप्ताह से नयी कार्यकारिणी कार्य करने लगेगी. खैर, चुनाव में अभी काफी वक्त है. भावी प्रत्याशियों को स्टेट बार काउंसिल से अधिसूचना जारी होने का इंतजार है. लेकिन, इससे पहले ही […]
वर्ष 1985 से बैलेट पेपर से हो रहा चुनाव
मुजफ्फरपुर : जिला बार एसोसिएशन का चुनाव अप्रैल में होना तय है. अप्रैल के दूसरे सप्ताह से नयी कार्यकारिणी कार्य करने लगेगी. खैर, चुनाव में अभी काफी वक्त है. भावी प्रत्याशियों को स्टेट बार काउंसिल से अधिसूचना जारी होने का इंतजार है.
लेकिन, इससे पहले ही कानून के दिग्गजों के बीच कुरसी को लेकर जोर आजमाइश शुरू हो गयी है. कोर्ट कैंपस में भावी प्रत्याशियों के बीच पोस्टर वार छिड़ गया है. सभी जिला बार एसोसिएशन से जुड़े वोटरों से संपर्क साधने व उनके करीब जाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं. अभी सभी प्रत्याशी अपने विरोधियों को पोस्टर वार की बदौलत मात देने की पूरी कोशिश में हैं. हालांकि जंग में ताज किसके सिर पर सजता है,यह वक्त बतायेगा.
बार एसोसिएशन का चुनावी इतिहास : जिला बार एसोसिएशन का चुनावी इतिहास काफी पुराना है.पहले सभी पदों का चुनाव आम सहमति या प्रत्याशियों के पक्ष में हाथ उठाकर समर्थन कर होता था. लेकिन, 1985 से चुनावी व्यवस्था बदल गयी. बैलेट पेपर का प्रचलन बढ़ा और चुनाव की पूरी प्रक्रिया कागजी हो गयी. तब से एसोसिएशन का चुनाव गुप्त मतदान विधि से होने लगा. बार एसोसिएशन में पहले मतदान करने वाले करीब 300 सदस्य होते थे. लेकिन, समय के साथ संगठन के सदस्यों की संख्या बढ़ती गयी. वकीलों के बीच कुरसी को लेकर घमसान जोर पकड़ने लगा. अभी इस संगठन में करीब तीन हजार सदस्य हैं. ये कार्यकारिणी का चुनाव करते हैं.
महासचिव पद के लिए दो ध्रुवों में रहा है घमसान : जिला बार एसोसिएशन का चुनावी इतिहास दो ध्रुवों के बीच रहा है.
एक वक्त था जब जिला बार एसोसिएशन की सबसे शक्तिशाली महासचिव का पद अधिवक्ता कैलाश प्रसाद सिन्हा व कभी रामानंद प्रसाद सिंह के पाले में था. लेकिन, पिछले दो बार से यह परिपाटी समाप्त टूट गयी. वर्तमान महासचिव सच्चिदानंद सिंह ने इस कुरसी पर काबिज हैं. पिछले चुनाव में सच्चिदानंद सिंह व पूर्व महासचिव रामानंद के पुत्र प्रवीण कुमार के बीच सीधी टक्कर हुई थी और इस घमसान में सच्चिदानंद सिंह ने महासचिव की कुरसी पर कब्जा जमा लिया. बताया जाता है कि स्टेट बार काउंसिल के संविधान के मुताबिक अध्यक्ष का पद अधिक महत्वपूर्ण है. लेकिन, कोई भी महत्वपूर्ण फैसले महासचिव की सहमति से ली जाती है.
इन पदों के लिए होना है चुनाव
जिला बार एसोसिएशन अंतर्गत अध्यक्ष-1, उपाध्यक्ष-3, महासचिव-1, संयुक्त सचिव-3, सहायक सचिव-3,कोषाध्यक्ष-1, सात कार्यकारिणी सदस्य व पांच वरीय सदस्य में चुने जाते हैं.
इसके बाद कमेटी एक ऑडिटर का मनोनयन करती है. इन पदों पर चुनाव की तैयारी में करीब तीन दर्जन भावी प्रत्याशी अभी से मैदान में पोस्टर वार के माध्यम से प्रचार-प्रसार में जुट गये हैं. इन प्रत्याशियों का पोस्टर कोर्ट कैंपस की मुख्य सड़क, बार लाइब्रेरी बिल्डिंग के बाहर, वकालत खाना बिल्डिंग के बाहर, एडवोकेट एसोसिएशन, एसडीओ कैंपस स्थित वकालत खाना में लगा हुआ है.
चुनावी मुद्दा : वकीलों का हित व बार के विकास का कर रहे वादा
हर चुनाव में प्रत्याशी वकीलों की हित और जिला बार एसोसिएशन के विकास की बात करते हैं. इस बार भी यही मुद्दा इस चुनावी समर में रहने की पूरी संभावना है. अधिवक्ताओं को दुर्घटना होने पर आठ हजार रुपये इलाज के लिए दिये जाते हैं.
वहीं, जरूरत के अनुसार कार्यकारिणी में पास करा कर और ज्यादा राशि का इलाज के लिए दिये जाते हैं. आकस्मिक दुर्घटना में मौत पर आश्रितों को 50 हजार रुपये दिये जाते हैं. महासचिव सच्चिदानंद सिंह बताते हैं कि बार कोष की स्थिति पहले से काफी सुदृढ़ हुई है. इसका लाभ अधिवक्ताओं को मिल रहा है.
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