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चार पंचायतों से काम रोकने का प्रस्ताव पारित

तिरहुत नहर विस्तारीकरण. किसानों ने कहा, जमुआरी नहर की उड़ाही कराये सरकार मुजफ्फरपुर : तिरहुत नहर के विस्तारीकरण का विरोध और धारदार हो गया है. मुरौल प्रखंड की मुरौल, मीरापुर, पिलखी व ईटहां पंचायत की ग्राम सभाओं ने इसके विस्तारीकरण पर रोक के प्रस्ताव पारित कर दिये हैं. ग्राम सभाओं ने नहर के विस्तारीकरण को […]

तिरहुत नहर विस्तारीकरण. किसानों ने कहा, जमुआरी नहर की उड़ाही कराये सरकार

मुजफ्फरपुर : तिरहुत नहर के विस्तारीकरण का विरोध और धारदार हो गया है. मुरौल प्रखंड की मुरौल, मीरापुर, पिलखी व ईटहां पंचायत की ग्राम सभाओं ने इसके विस्तारीकरण पर रोक के प्रस्ताव पारित कर दिये हैं. ग्राम सभाओं ने नहर के विस्तारीकरण को जनविरोधी करार दिया है. पंचायतों की ग्राम सभाओं का कहना है कि यहां किसी भी हाल में निर्माण नहीं होने दिया जायेगा.
देश में ग्राम सभा से बड़ी कोई सभा नहीं है. बाकी पंचायतों से इस प्रस्ताव को पास करा लिया जायेगा. पिलखी पंचायत की मुखिया सीता देवी, मुरौल के पूर्व मुखिया कीर्ति नारायण प्रसाद, मीरापुर के पूर्व मुखिया मोहन मुकुल ने अपने-अपने कार्यकाल के दौरान ग्राम सभा में नहर पर रोक का प्रस्ताव पारित किया था.
पूर्व विधायक सुरेश चंचल ने बताया कि चार पंचायतों ने नहर विस्तारीकरण कार्य को वापस लिये जाने का प्रस्ताव पास किया है. सरकार को यह काम बंद कर विस्तारीकरण का प्रस्ताव वापस करना चाहिए. इन पंचायतों से प्रस्ताव पारित होने के बाद कई किसान व नहर विस्तार विरोध संघर्ष मोरचा ने हाइकोर्ट में जाने का फैसला लिया है. इसके लिए ड्राफ्ट तैयार हो रहा है. आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शत्रुघ्न साहू, जिला प्रवक्ता हेम नारायण विश्वकर्मा, कुमार नीरज, सौरभ झा, सुधीर कुमार सिंह, ई एहतेशाम, सर्वोदयी चिंतक मंडलेश्वर तिवारी,
अधिवक्ता सतीश चंद्र झा, पूर्व मुखिया जगदीश राय का कहना है जब ग्राम सभा ने नहर निर्माण पर रोक का प्रस्ताव पारित कर दिया तो आगे निर्माण का सवाल ही नहीं उठता है. क्योंकि ग्राम सभा देश की सभी सभाओं से ज्यादा शक्तिशाली है. यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर लड़ेंगे लड़ाई : किसानों का तर्क है कि ओडिशा राज्य के नियमगिरी इलाके से जुड़ी 12 ग्राम सभाओं ने खदान को बंद का प्रस्ताव पारित कर दिया था. पंचायत की ग्राम सभा का तर्क था कि अंतरराष्ट्रीय कंपनी वेदांता के कार्यों से यहां के वातावरण और अस्तित्व पर खतरा है. इस लड़ाई को लिंगराज आजाद नाम का युवक लड़ रहा था. इसके बाद 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि वेदांता नियमगिरी में एल्युमीनियम का खनन सिर्फ प्रभावित होने वाले बारह ग्राम पंचायतों की अनुमति से कर सकती है. इसमें ग्राम सभा का आदेश सर्वोपरि है. लोगों को कहना है सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले को आधार बनाकर आगे की लड़ाई जारी रखेंगे. इस प्रखंड की सभी पंचायत इस आंदोलन में साथ है.
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नहर में चली जायेगी जमीन तो कैसे चलेगी जिंदगी
यहां के लोगों का कहना है कि कृषि ही लोगों के जीवन का आधार है. यहां के किसानों के पास एक कट्ठे से दो बीघा तक जमीन है. इसी में समय-समय पर अच्छी कमाई कर जीविका चलाते हैं. मकसूदनपुर निवासी रामजी प्रसाद, समस्तीपुर के यदुलाल साह, मिलकी के राम ललित सिंह, मोहन पुर के राम प्रवेश सिंह, कैलाश सिंह, बोअरिया के रामा शंकर सिंह बताते हैं कि यह इलाका सब्जी व मसाला की खेती के जाना जाता है. यहां की मुख्य फसलों में धनिया, मिरचा, लहसून, अदरख, ओल, बैगन, टमाटर, मटर, आलू व गोभी की खेती होती है. इस इलाके की जमीन में एक साथ कई फसल लगाये जाते हैं. धनिया पत्ती बेचकर गरमी में एक कट्ठे में तीस से 40 हजार रुपये किसान आमदनी करते हैं. एक धूर जमीन में पांच से आठ किलो धनिया की पत्ती का उत्पादन होता है. और स्थानीय सुजावलपुर बाजार में इसका दर 450 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम रहता है. अन्य सब्जियों में भी अच्छी कमाते हैं.
विरोध में बच्चों ने छोड़ा मिड डे मिल
नहर विस्तारीकरण के विरोध में बच्चों ने भी मोरचा खोल दिया है. मीरापुर व पिलखी पंचायत के कई स्कूलों में बच्चों ने सरकार की इस योजना का विरोध शुरू कर दिया है. बच्चों का कहना है कि सरकार यह योजना वापस ले. इसके बाद ही वे स्कूलों में मिलनेवाली मिड डे मिल का खाना खायेंगे. खाना छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में धीरे-धीरे इजाफा हो सकती है. बच्चे अपने गांव वाले व अभिभावकों का साथ दे रहे हैं.

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