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सेंट्रल जेल कर रहा 32 जिलों में साबुन व फर्नीचर की सप्लाई

उपलब्धि Â मेहनत कर चार साल में बढ़ाया 15 गुना राजस्व, सेंट्रल जेल में उद्योग-धंधे से जुड़े हैं 280 कैदी, सकारात्मक कामों से बढ़ा जेल प्रशासन का उत्साह 46 लाख कमाने वाला केंद्रीय कारा का राजस्व कैदियों ने अपने मेहनत के बदौलत 10 करोड़ कर दी है. खास बात यह है कि यहां की बनी […]

उपलब्धि Â मेहनत कर चार साल में बढ़ाया 15 गुना राजस्व, सेंट्रल जेल में उद्योग-धंधे से जुड़े हैं 280 कैदी, सकारात्मक कामों से बढ़ा जेल प्रशासन का उत्साह

46 लाख कमाने वाला केंद्रीय कारा का राजस्व कैदियों ने अपने मेहनत के बदौलत 10 करोड़ कर दी है. खास बात यह है कि यहां की बनी सामग्री को सूबे के 32 जेलों में भेजी जाती है.
मुजफ्फरपुर : 46 लाख कमाने वाला केंद्रीय कारा का राजस्व कैदियों ने अपने मेहनत के बदौलत 10 करोड़ कर दी है. खास बात यह है कि यहां की बनी सामग्री को सूबे के 32 जेलों में भेजी जाती है.
मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल ने गुनाहों की सजा काट रहे कैदियों को इन दिनों सकारात्मक काम में लगाया है. कैदी भी जेल मैनुअल का पालन करते हुए अपने जीवन को अच्छे रास्ते पर ले जाने की जी तोड़ कोशिश में है. इसी का परिणाम है कि मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल सूबे के 32 जिलों में सरसों तेल, साबुन, फर्नीचर व कपड़े जैसी महत्वपूर्ण सामग्री की सप्लाई कर रहा है. इसी का रिजल्ट है कि जेल का राजस्व दिनों दिन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. कभी पूरे साल में 46 लाख रुपये आमदनी करनेवाले सेंट्रल जेल की कमाई करीब 10 करोड़ रुपये हो गयी है.
जेल प्रशासन के ताजा आंकड़े बताता है कि जेल की आमदनी काफी तेजी से बढ़ी है, आगे यह सिलसिला और तेज होगा. जेल प्रशासन भी इन दिनों काफी उत्साहित है. जेल प्रशासन का दावा है कि पिछले चार साल में कैदियों की मेहनत से जेल का राजस्व 15 गुना बढ़ गया है. तीन साल पहले कैदी 20 से 45 हजार रुपये सलाना कमाते थे, लेकिन, अभी एक कैदी 80 हजार से एक लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं. कैदियों की कमाई राशि उनके परिजन को भेजी जाती है. कुछ ऐसे भी कैदी है, जिन्होंने जेल की कमाई से अपनी बिटिया तक की शादी भी की है.
इन जेलों में भेजी जाती है सामग्री : सेंट्रल जेल मोतिहारी, भागलपुर, मंडल कारा शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, समस्तीपुर, बेतिया, छपरा, बिहारशरीफ, हाजीपुर, शेखपुरा, मुंगेर, खगड़िया, बेगूसराय, जहानाबाद, आरा, सासाराम, सहरसा, अररिया, भभुआ, गया, जमुई, शेरघाटी, पूर्णिया, सुपौल, फुलवारीशरीफ, सीवान, उपकारा में रोसड़ा, बेनीपुर, दलसिंहसराय, झंझारपुर, मधुबनी में कैदियों के बनाये सामग्री भेजी जाती है. जेल में संचालित उद्योग मसाला उद्योग, फिनाइल, बंदी वस्त्र, अंबर चरखा, सरसों तेल, साबुन, मच्छरदानी, फर्नीचर, रजिस्टर, आटा, बेसन, सत्तू जैसे महत्वपूर्ण चीजों का उत्पादन किया जा रहा है.
मिला नौ करोड़ का लक्ष्य, 10 करोड़ की कमाई
वर्ष 2012-13 में जेल का राजस्व महज 46 लाख था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़ कर एक करोड़ 40 लाख हो गया. कैदियों ने एक साल में ही जेल का राजस्व तीन गुना बढ़ा दी है. वर्ष 2014-15 में दो करोड़ 55 लाख राजस्व प्राप्त हुआ. वर्ष 2015-16 में 5 करोड़ 25 लाख हो गया. लेकिन, इसके बाद भी कैदियों ने राजस्व बढ़ाना कम नहीं किया. वर्ष 2015-16 में जेल का राजस्व 6 करोड़ 95 लाख कर दी. वर्ष 2016-17 में मुख्यालय ने जेल का राजस्व नौ करोड़ रुपये तय किया था. जिसे कैदियों ने मेहनत कर दस करोड़ रुपये कर दिया. अभी तीन महीने बाकी हैं. कमाई में और बढ़ोतरी हो सकती है. जानकारी हो कि सेंट्रल जेल में अभी 280 कैदी उद्योग कार्य में लगे हैं. यह कैदी जेल से कमाये गये रुपये से अपने परिवार का भरण पोषण भी करते हैं. बयान कैदियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जेल के लघु उद्योग से कैदियों को जोड़ा जा रहा है.
सकारात्मक प्रयास से सूबे के 32 जिलों में यहां की उत्पादित सामग्रियों की आपूर्ति की जा रही है. इससे आमदनी बढ़ी है. आगे आमदनी को काफी तेजी से बढ़ाने जाने की कोशिश जारी है. कैदी भी मेहनत कर रहे हैं.
सत्येंद्र कुमार, जेल अधीक्षक, मुजफ्फरपुर

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