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स्कूल नहीं दे रहे डाटा, कैसे बने बच्चों की यूनिक आइडी
बदलाव में रोड़ा धनंजय पांडेय मुजफ्फरपुर : शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव के लिए शुरू हुई पहले में स्कूल संचालक ही रोड़ा अटका रहे हैं. केंद्र सरकार के निर्देश पर बच्चों की यूनिक आइडी बन रही है. यह आइडी बच्चों की खास पहचान होगी. लेकिन विभाग क्या करे, स्कूल वाले डाटा ही नहीं दे रहे […]
बदलाव में रोड़ा
धनंजय पांडेय
मुजफ्फरपुर : शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव के लिए शुरू हुई पहले में स्कूल संचालक ही रोड़ा अटका रहे हैं. केंद्र सरकार के निर्देश पर बच्चों की यूनिक आइडी बन रही है. यह आइडी बच्चों की खास पहचान होगी. लेकिन विभाग क्या करे, स्कूल वाले डाटा ही नहीं दे रहे हैं.
ऑनलाइन एसडीसीएफ (स्टूडेंट डाटा कैप्चर फॉरमेट) तैयार किया जाना है, जिसके लिए सभी स्कूलों से प्राइमरी से हाइस्कूल तक के बच्चों का रिकॉर्ड मांगा गया है. स्थिति यह है कि समय बीतने के महीने भर बाद भी जिले के कुल 3776 स्कूलों में 1865 ने रिकॉर्ड नहीं दिया है.
सबसे खराब स्थिति शहरी क्षेत्र में स्थित निजी विद्यालयों की है. विभागीय आंकड़े के अनुसार शहर में कुल 195 निजी विद्यालय हैं, लेकिन अभी तक किसी ने भी स्टूडेंट डीसीएफ जमा नहीं किया है. वहीं कई प्रखंडों में सरकारी स्कूलों की स्थिति भी ठीक नहीं है. औराई में केवल 23 सरकारी स्कूलों ने जमा किया है, जबकि 179 का बाकी है. इसी तरह कुढ़नी में 56 का जमा हुआ है, 199 का बाकी है. सरैया में 63 स्कूलों का जमा हुआ है, जबकि 189 का नहीं मिला है.
यूनिक आइडी से होगी सहूलियत, रुकेगा फरजीवाड़ा : यूनिक आइडी सभी बच्चों की अपनी खास पहचान होगी. इसके सहारे एक क्लिक में बच्चे से संबंधित सारे रिकॉर्ड मिल जायेंगे.
पिछली कक्षाओं में उसका रिजल्ट कैसा रहा, यह जानकारी भी होगी. सबसे बड़ा फायदा होगा जिले या राज्य से बाहर एडमिशन के समय. आसानी से पिछले रिजल्ट का सत्यापन हो सकेगा. यूनिक आइडी से बच्चों के लिए संचालित योजनाओं में फरजीवाड़ा पर रोक लगेगा. एक बच्चे का नामांकन दो जगहों पर नहीं कराया जा सकेगा.
ऑनलाइन डाटा फीड करते ही जेनरेट होगा आइडी : बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से बच्चों का डाटा तैयार किया जा रहा है. सभी सरकारी व निजी विद्यालयों से निर्धारित फॉरमेट पर रिकॉर्ड मांगा जा रहा है. जिला स्तर पर ऑफलाइन डाटा तैयार किया जा रहा है. इसके
बाद इसे ऑनलाइन फीड किया जायेगा. एमआइएस को-आर्डिनेटर शैलेंद्र कुमार ने बताया कि स्टूडेंट डीसीएफ के पेज पर ऑनलाइन डाटा फीड
किया जाना है. किसी बच्चे से जुड़ी
सारी जानकारियां जैसे ही फीड हो जायेंगी, ऑटोमेटिक यूनिक आइडी जेनरेट हो जायेगा.
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