सोमनाथ सत्योम
मुजफ्फरपुर : सदर अस्पताल में मरीजों को नाबालिग खाना बांटते हैं. पढ़ने के उम्र में उन्हें काम पर लगा दिया जाता है. बहरहाल, अस्पताल में मरीजों को खाना खिलाने की व्यवस्था प्राइवेट एजेंसी के हवाले है. मरीजों को तीन वक्त का भोजन देने का प्रावधान है.
भोजन का मेनू भी बना हुआ है. उन्हें भोजन भी मिलता है. लेकिन, सुबह का नाश्ता दोपहर में व दोपहर का खाना दो बजे के बाद मिलता है. तब तक मरीज परिजनों के लाये खाना खाते हैं या भूखा रह कर भोजन का इंतजार करते हैं.
रविवार को मरीजों को खाना खिलाने बबलू, आकाश व चांद पहुंचे. बबलू व चांद की उम्र तो काम करने लायक थी, लेकिन, आकाश की उम्र अभी स्कूल जाने की उम्र में भाई के बदले केयर टेकर अमित सिंह उसे काम पर लगा दिया. महज 12 साल की उम्र में ही बच्च से उसे नौजवान की श्रेणी में डाल दिया गया.
नहीं मिलता मेनू के अनुसार भोजन
सदर अस्पताल प्रशासन ने मरीजों के भोजन का मेनू बना रखा है. लेकिन, शायद ही किसी दिन मरीजों को समय पर खाना मिलता हो.
मेनू से कभी मिलता ही नहीं. सुबह आठ बजे पाव रोटी, दूध व एक केला, दोपहर में चावल दाल, आलू की सब्जी, हरी सब्जी, सलाद में टमाटर व प्याज के साथ आयोडिन नमक व रात में चावल की जगह रोटी देना सुनिश्चित है. साथ ही मौसमी फल भी देना है. लेकिन, यह सिर्फ दीवार पर चिपकाये बोर्ड पर ही अंकित है. मरीज इस व्यवस्था को लेकर कई बार सिविल सजर्न से शिकायत कर चुके हैं. इसके बावजूद व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं हो सका है.