मुजफ्फरपुर : बिजली बिल की डिलेवरी में देरी उपभोक्ताओं के लिए सिरदर्द बना हुआ है. आलम यह है कि बिल भुगतान के तिथि से दो दिन पहले बिल थमाया जा रहा है. इसका दंड उपभोक्ताआें को विलंब शुल्क के रूप में भरना होता है. कमोबेश यह समस्या पूरे जिले की है. निजी कंपनी एस्सेल हो एनबीडीसीएल के कार्य क्षेत्र में आने वाले इलाके. बिल के लिए लोग टकटकी लगाये रहते हैं. बिल तब मिलता है, जब भुगतान तिथि के दो तीन बचे रहते हैं.
इस स्थिति में अचानक पैसे का इंतजाम व बिल जमा करने के लिए समय निकालने में परेशानी होती है. लोग बिल डेट को पैसा जमा नहीं कर पाते हैं. इसके बाद बिलंब शुल्क के साथ बिल जमा करना पड़ता है. जबकि विद्युत विभाग के नियम के अनुसार उपभोक्ताओं को बिल डेट से 15 दिन पहले हर हाल में बिल मिल मिल जाना चाहिए. यह जिम्मेवारी बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी है कि उपभोक्ता को निर्धारित अवधि में बिल उपलब्ध कराये.
हर महीने नहीं हो रही रीडिंग
मीटर रीडिंग का काम में भी हीला – हवाला जैसी स्थिति है. अधिकांश इलाके में दो महीने पर रीडिंग होती है. इसके वजह से उपभोक्ताओं पर बिल का भार बढ़ जाता है. एक साथ बिजली बिल के मद में मोटी रकम जमा करने पर बजट बिगड़ जाता है. इधर, बिल सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए बार – बार दावे किये जाते हैं. जोन में बांट कर मीटर रीडिंग व बिल वितरण का चार्ट भी एस्सेल की ओर से निकाला गया.
बिल की ली जाये प्राप्ति रसीद
विलंब से बिल मिलने की शिकायत जब उपभोक्ता करते हैं, तो कंपनी के अधिकारी बिल इश्यू डेट का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते हैं. लोगों को इश्यू डेट से काफी विलंब से बिल मिलता है.
इस समस्या के निदान के लिए बिल वितरण करने वाले को बिल की प्राप्ति रसीद देनी चाहिए, ताकि लोग विलंब शुल्क देने के समय क्लेम कर सके कि उनको समय से बिल नहीं मिला है.
जूरन छपरा से कलेक्ट्रेट तक ट्री कटिंग
जूरन छपरा से कंपनी बाग व कलेक्ट्रेट में बिजली तार के बीच में आने वाले पेड़ के डाली की कटाई की गयी. ट्री कटिंग के कारण दिन में इस इलाके की बिजली आपूर्ति बाधित रही. दरअसल पेड़ पौधे के संपर्क में बिजली तार के आने से शॉट सर्किट की समस्या आती है. इससे बिजली आपूर्ति देर तक ठप हो जाती है.