इस वर्ष चंद्रोदय बुधवार की रात 8.50 बजे के बाद अर्घ्य अर्पित करने का समय है. महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत महाकाव्य में वर्णन मिलता है कि वनवास काल के दौरान अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि पर्वत गये थे. दूसरी ओर पांडवों पर कई संकट आ गये थे. यह सब देख द्रौपदी चिंंता में पड़ गयीं. उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से इन समस्याओं से मुक्ति पाने का उपाय जानने की प्रार्थना की. श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि यदि वह कार्तिक मास में कृष्ण चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत रहें तो उनके सारे संकट दूर हो सकते हैं. द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत रखा और विधि विधान से पूजन-अर्चना की. इसके कुछ ही दिनों बाद पांडवों का संकट धीरे-धीरे टल गया.
Advertisement
अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं करेंगी व्रत
मुजफ्फरपुर: पति के होने दीर्घायु व अखंड सौभाग्य के लिए बुधवार को महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखेंगी. वैसे तो व्रत का पौराणिक महत्व है, लेकिन आधुनिकता बढ़ने के साथ इसका प्रचलन भी तेजी से बढ़ा है. पिछले कुछ सालों से शहर सहित ग्रामीण इलाकों में भी व्रतियों की संख्या काफी बढ़ी है. खासकर नयी-नवेली […]
मुजफ्फरपुर: पति के होने दीर्घायु व अखंड सौभाग्य के लिए बुधवार को महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखेंगी. वैसे तो व्रत का पौराणिक महत्व है, लेकिन आधुनिकता बढ़ने के साथ इसका प्रचलन भी तेजी से बढ़ा है. पिछले कुछ सालों से शहर सहित ग्रामीण इलाकों में भी व्रतियों की संख्या काफी बढ़ी है. खासकर नयी-नवेली दुल्हनों की संख्या अधिक है. व्रत को लेकर बाजार में भीड़भाड़ दिखी. महिलाओं ने सौंदर्य सामग्रियों के साथ-साथ पूजन सामग्री की भी जमकर खरीदारी की.
पंडित पकड़ी के पंडित विजय कुमार ने बताया कि कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत किये जाने की मान्यता वैदिक पुराणों में वर्णित है. इससे पति को दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन चंद्रमा की पूजा-अर्चना की जाती है. करवा चौथ व्रत को कहीं-कहीं ‘करक चतुर्दशी’ के नाम से भी जाना जाता है.
ऐसे करें पूजा
करवा चौथ व्रत के पूजन विधि पर प्रकाश डालते हुए पंडित विजय कुमार ने बताया कि व्रत के दिन प्रात: स्नान करने के पश्चात संकल्प करके करवा चौथ व्रत शुरू करना चाहिए. गेरू व पिसे चावल के घोल से करवा की आकृति बनायी जानी चाहिए. पीली मिट्टी से मां गौरी और उनकी गोद में गणेश जी की आकृति बनायी जाती है. इसके बाद भगवान शंकर, गणेश व गौरी को काठ के आसन पर स्थापित कर माता को सुहागन की सामग्री से सजाना चाहिए. बताया कि व्रत के दौरान पुरोहित से कथा का श्रवण करना चाहिए. पति की दीर्घायु की कामना करते हुए कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपने पति की मां यानी सास से सबसे पहले आशीर्वाद लिये जाने और उन्हें करवा भेंट करने का प्रचलन है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement