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विकास के नाम पर बुडको में 1050 करोड़ की हेराफेरी

मुजफ्फरपुर : सरकार ने शहरों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के मकसद से बुडको (बिहार अरबन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) का गठन किया. लेकिन, इसके अधिकारियों ने शहर के विकास से ज्यादा खुद व चहेतों का विकास कर दिया. संस्था के खजाने पर जमकर हाथ साफ किया. 2009 में संस्था के गठन के बाद से 2016 […]

मुजफ्फरपुर : सरकार ने शहरों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के मकसद से बुडको (बिहार अरबन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) का गठन किया. लेकिन, इसके अधिकारियों ने शहर के विकास से ज्यादा खुद व चहेतों का विकास कर दिया. संस्था के खजाने पर जमकर हाथ साफ किया. 2009 में संस्था के गठन के बाद से 2016 तक 1050 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई. अधिकारियों ने अधिकांश कार्यों में नियम को नजर अंदाज कर प्राइवेट फर्मों को रेवड़ियों की तरह काम बांट पैसे बटोर लिये. हेराफेरी का खुलासा

िवकास के नाम
महालेखाकार
की ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है. रिपोर्ट से इसके गठन पर ही सवाल खड़े हो गये हैं. आरटीआइ कार्यकर्ता अमित कुमार मंडल ने कहा कि बुडको ने अपने गठन के उद्देश्य को मटियामेट कर दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार, बिना स्वीकृति लिये 610 करोड़ रुपये का काम करा दिया गया. गठन के समय सरकार ने बुडको को अन्य विभागों से 17 प्रोजेक्ट ट्रांसफर किये. हालांकि, पहले प्रशासनिक अनुमति लेनी थी. 15 प्रोजेक्ट समय से पूरा भी नहीं हो सके. अधिकारियों ने बसों की खरीद में भी बंदरबांट किया.
प्राइवेट फर्म पर लुटा दिया खजाना
बुद्धा पार्क के लिए पार्श्वनाथ डेवलपर्स से 125.53 करोड़ में 27 जून 2008 को एग्रीमेंट हुआ था. मार्च 2009 में काम पूरा कर लेना था. काम में देरी के कारण फर्म से 12.55 करोड़ की कटौती करनी थी, लेकिन कटौती नहीं हुई. जांच के समय विभाग के पास इससे संबंधित कोई एमबी नहीं मिला. इसी संस्था को 1.88 करोड़ रुपये के अन्य भुगतान को भी अनाधिकृत रूप से स्वीकृत किया गया. कई प्रोजेक्ट में रॉयल्टी व निर्माण सामग्री खर्च की कटौती नहीं की गयी. इस कारण सरकार को 3.79 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
योजना का जिक्र नहीं, मांगे 18 करोड़
ओरिजिनल इस्टीमेट में जिन योजनाओं का जिक्र नहीं था, उनके नाम पर भी 18.17 करोड़ के दावा भुगतान पर आपत्ति की गयी है. इस्टीमेट में इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है. साथ ही, बुडको ने शाह टेक्निकल कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड को 1.87 करोड़ रुपये बांट दिये. इस फर्म को मुजफ्फरपुर, खगौल व फुलवारी शरीफ में वाटर सप्लाई व बक्सर और बेगूसराय में सीवरेज का काम कराना था.
यह परियोजना शहर को मिली ही नहीं. इंसेंटिव के रूप में अवैध तरीके से 14.73 करोड़ रुपये इस फर्म को बांट दिया, लेकिन काम समय पर नहीं हो सका. मेसर्स एसके पटोदिया को बिना काम के 2.50 करोड़ बांट दिया गया. अधिकारियों ने 9.52 करोड़ बैंक गारंटी का सीजर न होने से नुकसान कर दिया. 36.18 करोड़ रुपये के सूटकेस खरीद के नाम पर गोलमाल हुआ है.
ऑडिट रिपोर्ट से हुआ
खुलासा
अधिकांश मदों में करोड़ों का हुआ बंदरबांट
कहीं बिना एमबी के भुगतान, तो कहीं चहेतों को पहुंचाया लाभ
बसों की खरीद में भी सरकारी खजाने को जमकर लूटा
आरटीआइ कार्यकर्ता अमित ने मांगी थी िरपोर्ट
बिना प्रशासनिक स्वीकृति के 610 करोड़ का कराया काम
शहर में वाटर सप्लाई के नाम पर 10 करोड़ का भुगतान. बुडको कार्यालय के नाम पर 80.19 लाख रुपये का अवैध भुगतान हुआ है. बुद्धा स्मृति पार्क, पटना के कार्य में विभिन्न मद में 7.41 करोड़ रुपये गलत तरीके से बांटे गये. बैंक गारंटी का रिन्यूवल नहीं होने से 6.70 करोड़ का नुकसान हुआ. मुजफ्फपुर वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट पर 9.96 करोड़ रुपये बेकार में खर्च कर दिये गये. यानी सभी योजनाओं को मिलाकर करीब 1050 करोड़ की अनियमितता हुई है.
बुद्धा स्मृति पार्क के नाम पर जमकर बांटा एडवांस
बुद्धा स्मृति पार्क के लिए 23.70 करोड़ रुपये बुद्धा स्मृति उद्यान डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को नियम के विरुद्ध एडवांस बांट दिया गया. 2010 में यह प्रोजेक्ट बुडको को ट्रांसफर हो गया. बुडको ने एडवांस का एडजस्टमेंट नहीं किया. पार्श्वनाथ डेवलपर लिमिटेड को बिना कागज के ही 7.11 करोड़ रुपये बांट दिये. डिले डैमेज की कटौती नहीं करने से भी 12.55 करोड़ का
नुकसान हुआ.

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