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विजिलेंस के नाम पर होता आर्थिक शोषण

मुजफ्फरपुर : वेंडरों ने तालाबंदी के बाद जब नारेबाजी कर रहे थे. तब उनके साथ दर्जनों की संख्या में उपभोक्ता भी शामिल हो गये. ये सभी उपभोक्ता अपने कार्य को लेकर एस्सेल ऑफिस पहुंचे थे. कुढ़नी से आने वाले रामू कुमार, मुशहरी के संजीव कुमार चौधरी, गायघाट के मनोरंजन सिंह, चिंटू कुमार आदि विजिलेंस केस […]

मुजफ्फरपुर : वेंडरों ने तालाबंदी के बाद जब नारेबाजी कर रहे थे. तब उनके साथ दर्जनों की संख्या में उपभोक्ता भी शामिल हो गये. ये सभी उपभोक्ता अपने कार्य को लेकर एस्सेल ऑफिस पहुंचे थे. कुढ़नी से आने वाले रामू कुमार, मुशहरी के संजीव कुमार चौधरी, गायघाट के मनोरंजन सिंह, चिंटू कुमार आदि विजिलेंस केस से परेशान थे. कोई आटा चक्की पर विजिलेंस के छापेमारी से परेशान था, तो कोई अपने घर की बिजली बिल से.

जब उपभोक्ताओं ने अपनी समस्या बताना शुरू किया, तब विजिलेंस सेल किस तरह से गड़बड़ी करता है. इसका भेद खुलने लगा. इस पर एक वेंडर ने बताया कि एस्सेल का जो विजिलेंस है. वह विजिलेंस को मजाक बना कर रख दिया है. विजिलेंस को किस उपभोक्ता के साथ कितना जुर्माना करना है. इसका कोई मानदंड नहीं है. मन मुताबिक जुर्माने की राशि तय की जाती है. मोल-जोल के बाद अगर एक लाख जुर्माना लगाया जाता है. उपभोक्ता जब इस राशि को नहीं देने पर अड़ता है, तब पांच से दस हजार रुपये में भी इसे फाइनल कर दिया जाता है. क्योंकि ये सारे कार्य एस्सेल ठेका पर कराता है. विजिलेंस के नाम पर उपभोक्ताओं की जबरदस्त आर्थिक शोषण की जा रही है. हालांकि, पीआरओ राजेश चौधरी ने इन सारे आरोपो से इनकार किया है.

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