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शिक्षा का हाल: ‘पढ़ाई’ पर आंदोलन का ब्रेक
मुजफ्फरपुर: सरकारी स्कूलों में एक ओर शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के तमाम दावे किये जा रहे हैं, तो दूसरी ओर पठन-पाठन की व्यवस्था भी बेपटरी होती नजर आ रही है. बेहतर शैक्षणिक माहौल तैयार करने के लिए हर महीने मूल्यांकन की व्यवस्था की गयी है. साथ ही मानसिक व शारीरिक विकास के लिए खेल-कूद सहित […]
मुजफ्फरपुर: सरकारी स्कूलों में एक ओर शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के तमाम दावे किये जा रहे हैं, तो दूसरी ओर पठन-पाठन की व्यवस्था भी बेपटरी होती नजर आ रही है. बेहतर शैक्षणिक माहौल तैयार करने के लिए हर महीने मूल्यांकन की व्यवस्था की गयी है. साथ ही मानसिक व शारीरिक विकास के लिए खेल-कूद सहित गैर शैक्षणिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देने की योजना है.
स्कूल में बच्चों की प्रोग्रेस रिपोर्ट तैयार करनी है, प्रोफाइल बनानी है. बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करने व गैर नामांकित बच्चों को चिह्नित कर एडमिशन भी दिलाना है. इन सारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का जिम्मा शिक्षकों के साथ ही विभागीय अधिकारियों पर है, लेकिन जमीनी हकीकत है कि स्कूलों में नियमित पढ़ाई भी नहीं हो रही. यह बच्चों के शिक्षा का अधिकार की उलंघन भी है, लेकिन यह देखने की फुरसत किसी के पास नहीं. इन सबके के बीच नुकसान हो रहा है बच्चों का.
उदासीनता से बन रही अराजकता की स्थिति : शिक्षा विभाग में जिम्मेदारों की अनदेखी से अराजकता की स्थिति बनती जा रही है. प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक अधिकारी अपनी ठसक में मस्त हैं, तो स्कूलों में पठन-पाठन की व्यवस्था पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गयी है. किसी न किसी समस्या को लेकर शिक्षक अक्सर मुख्यालय का चक्कर काटते रहते हैं. कभी वेतन की समस्या, तो कभी सेवा पुस्तिका, प्रमोशन, ग्रेड पे, प्रशिक्षण या फिर निगरानी जांच. इन समस्याओं के निस्तारण की कवायद महीनों से चल रही है, लेकिन सारी प्रक्रिया फाइलों में ही सिमट कर रह गयी है. नतीजा, कभी धरना-प्रदर्शन, तो कभी आंदोलन.
अफसर का आदेश भी हवा-हवाई
नियोजित शिक्षकों की सेवा पुस्तिका अपडेट करके वापस लौटाने के लिए विद्या बिहार स्कूल में कैंप लगना था. पहले गायघाट प्रखंड के शिक्षकों की बारी थी. मंगलवार को दूसरे दिन भी शिक्षक पहुंचे थे. कोई नहीं मिला तो निराश होकर वापस लौटे. सोमवार को भी सैकड़ों शिक्षक दिन भर जमे रहे. हैरानी की बात है कि जब संबंधित बीइओ से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कैंप की जानकारी से अनभिज्ञता जताई, जबकि इसके लिए प्रखंडवार कार्यक्रम तय करते हुए डीइओ ने आदेश जारी किया था. शिक्षकों के स्कूल छोड़कर आने से पढ़ाई बाधित हुई. लेकिन इसकी फिक्र किसे है.
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