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एस्सेल ने बनायी अधिकारी व कर्मियों की अलग-अलग सात टीमें कई इलाकों में केबुल में बदली जा चुकी है 11 हजार एचटी लाइन मोमीनों को नेक बनाने के लिए रोजा जरूरी मुजफ्फरपुर/औराई : मुसलमानों को मजहबी किताब कुरान में बताया गया है कि मोमीनों को नेक बनाने के लिए उन पर रोजा जरूरी है. इसलिए […]

एस्सेल ने बनायी अधिकारी व कर्मियों की अलग-अलग सात टीमें

कई इलाकों में केबुल में बदली जा चुकी है 11 हजार एचटी लाइन
मोमीनों को नेक बनाने के लिए रोजा जरूरी
मुजफ्फरपुर/औराई : मुसलमानों को मजहबी किताब कुरान में बताया गया है कि मोमीनों को नेक बनाने के लिए उन पर रोजा जरूरी है. इसलिए माहे रमजनुल मुबारक को नेकियों का मौसमे बहार भी कहा जाता है. इसलिए हमें चाहिए की रमजान में रब से उसकी रहमत का सवाल किये जाने से
पहले सोचना चाहिए कि हमने खुद इस रहमत को दूसरों के लिए कितना आम किया. उक्त बातें मौलाना डॉ सैफ जावेद ने औराई के मसजिद में नमाजे जोहर के दौरान उपस्थित अकीदतमंदों से कही. डॉ. जावेद ने कहा की एेसा इसलिए है कि जो इनसान-इनसानों पर रहम नहीं करेगा. खुदा भी उस पर रहम करना छोड़ देगा. रमजान में रब के साथ अच्छा मामला करने की कोशिश करनी चाहिए. खुद अपने नफस को भी नियंत्रण में करने का नाम ही असली रोजा है. हम अगर गमों और परेशानियों में हैं तो, परवर दीगार जरूर हमारी मदद करेगा.
प्यारे हुजूर सलल्लाहों अलैहि वसल्लम हमेशा दुआ किया करते थे कि एे अल्लाह मैं तेरी पनाह चाहता हूं, फिक्र व गम में तेरी पनाह चाहता हूं. कमजोरी व सुस्ती से और बचाव चाहता हूं. तेरे जरिये कंजूसी और बुजदिली से बाहर निकल तेरी पनाह में आता हूं. कर्ज के गलबे और लोगों के दबाव से, हुजूर पाक की इस दुआ से साबित होता है कि हुजूर भी अपने हर गम व मुसीबत में बस खुदा से सभी परेशानियों का छुटकारा मांगते थे. इसलिए हमें चाहिए के रमजान पाक में दिल से तौबा करें और भविष्य के लिए यह ठान ले कि हम किसी को तकलीफ नहीं पहुंचायेगें.
किसी की हकमारी नहीं करेंगें. लोगों पर जुल्म करना छोड देंगें. अपने व्यवहार में नरमी पैदा कर इनसानियत का सबूत दुनिया में पहुंचायेंगे. डॉ. मौलाना सैफ जावेद की बातों को सुन कर सभी उपस्थित अकीदतमंदों ने दिल में ठाना कि रमजान में इबादत व मगफिरत के साथ यह महीना खुद को बदलने का भी है. ताकि हमें दीन कर प्राप्ति के साथ मुकम्मल दुनिया भी हासिल हो जाये.

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