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दिखा चांद, शुरू हुआ माहे रमजान

चांद दिखने की सूचना पर लोगों ने एक दूसरे को दी मुबारकबाद, आज रखा जाएगा पहला रोजा मुजफ्फरपुर : रहमतों और बरकतों वाला महीना रमजान आज से शुरू हो जायेगा. पहला रोजा मंगलवार को होगा. सोमवार की रात चांद दिखने के बाद ही कई मसजिदों के मौलाना ने रमजान का ऐलान कर दिया. हालांकि चादं […]

चांद दिखने की सूचना पर लोगों ने एक दूसरे को दी मुबारकबाद, आज रखा जाएगा पहला रोजा

मुजफ्फरपुर : रहमतों और बरकतों वाला महीना रमजान आज से शुरू हो जायेगा. पहला रोजा मंगलवार को होगा. सोमवार की रात चांद दिखने के बाद ही कई मसजिदों के मौलाना ने रमजान का ऐलान कर दिया. हालांकि चादं देखने के लिए लोग छतों व मैदानों में खड़े थे. जिन्हें चांद दिखा उन्होंने अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को सूचना दी. जिन्हें चांद नहीं दिखा उन लोगों ने मौलाना को फोन कर चांद की जानकारी ली. तसल्ली होते ही रमजान की तैयारी शुरू हो गई.
ऐलान के बाद लोगों ने जहां तरावीह की नमाज अदा करने के लिए मसजिदों की राह पकड़ी, वहीं घरों में इबादत का दौर शुरू हो गया. लोगों ने एक दूसरे को माहे रमजान की बधाई दी. इसके साथ ही शहर के कई इलाकों में रौनक बढ़ गयी. चौक-चौराहों पर लोगों ने एक दूसरे को रमजान के मुबारकबाद के साथ पाक महीने रमजान के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा किया.
चांद दिखने के बाद बढ़ी बाजार की रौनक. चांद दिखने के बाद सोमवार की रात बाजार की रौनक बढ़ गयी. शहर के कंपनीबाग, इस्लामपुर, मेहदी हसन चौक, पक्की सराय चौक व सादपुरा में खरीदारी के लिए लोग उमड़ पड़े. सहरी व इफ्तार की खरीदारी के लिए देर रात तक लोगों का तांता लगा रहा. कंपनीबाग के बाजार में खजूर व सेवइयों की खूब बिक्री हुई. इसके अलावा किराना दुकानों पर भी इफ्तार के सामान के लिए तांता लगा रहा.
शबे कद्र की रात होती है सबसे खास. रमजान महीने में तीन अशरे होते हैं. पहले दस रमजान रहमत, दूसरे दस रमजान मगफिरत व तीसरे दस अशरा जहन्नुम की आग से दूर रखता है. आखिरी अशरा की 21, 23, 25, 27 व 29 की शबे कद्र की रात होती है. हदीस में आया है कि इन तारीखों में ही कुरान मुकम्मल हुआ. लोगों को चाहिए की इन रातों में ज्यादा से ज्यादा तिलावतें कुरान करें व अपनी मगफिरत की दुआ करें.
रोजेदार को इफ्तार कराने से मिलती है गुनाहों की माफी. रोजेदार को इफ्तार कराने से बहुत सबाब मिलता है. अल्लाह उसके गुनाहों को माफ कर देतो है. किसी गरीब को रोजा इफ्तार कराने से अल्लाह उसकी जिंदगी भर की गुनाहों को माफ कर उसकी मगफिरत फरमा देता है. मौलाना वसीउल कहते हैं कि रोजेदार को अल्लाह के नियमों के अनुसार ही रोजा रखना चाहिए.
इन हालातों में कर सकते है रोजा. वैसे रोजा हर मुसलमान का फर्ज है. कुछ परिस्थितियों में अल्लाह तबारक तआला ने अपने बंदों को छूट दी है.अगर कोई बूढ़ा व्यक्ति है, जिसे रोजा रखने से उसकी जान को खतरा है तो वह डॉक्टर की सलाह कर रोजा नहीं रखे. लेकिन किसी गरीब को दो वक्त का खाना खिलाएं. गर्भवती महिला या बच्चे को दूध पिलाने वाली महिला भी डॉक्टर की सलाह से रोजे का कजा कर सकती हैं. लेकिन उन्हें अपने कजा रोजों को पूरा करना चाहिए.
कई जगह शुरू हुई तराबी. चांद दिखने के साथ ही कई जगह तराबी शुरू हो गयी है. सादपुरा बैंक कॉलोनी में मो शकील अहमद के आवास पर तराबी की शुरुआत हुई. मो शकील अहमद ने कहा कि यहां दस दिनों की तराबी होगी.
मसजिदों में अदा की गई तराबी की नमाज
दस साल उम्र के बच्चे से ही फर्ज है रोजा
मदरसा मोहम्मदिया सलफिया के मो वसी आलम रियाजी कहते हैं कि रमजान में रोजा दस साल के उम्र के बच्चे से ही फर्ज है. रोजेदार को चाहिए कि व तमाम बुराइयों से बचे, तभी उनका रोजा कबूल होगा. उन्होंने कहा कि रोजा अल्लाह से नजदीक होने का नियम है. अल्ल्लाह के हुक्म पर रोजेदार भूखे प्यासे रह कर नियम का पालन करता है. जो सही तरीके से रोजा रखता है. उसे जन्नत मिलती है. कहा गया है कि मरने के बाद रोजेदार को जन्नत के रैयान गेट से दाखिला मिलता है. रोजा हर मुसलमान के लिए फर्ज है.

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