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शिक्षा व सफाई का हाल खादी जैसा
मुजफ्फरपुर: चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष की शुरुआत एलएस कॉलेज में रविवार को ‘चंपारण सत्याग्रह एवं समकालीन परिवेश’ गोष्ठी के साथ हुई. इसका उद्घाटन वरिष्ठ गांधीवादी प्रो रामजी सिंह, सर्वसेवा संघ के अध्यक्ष सुगन बरंठ व समाज सेवी प्रो एमएन कर्ण ने दीप प्रज्वलित कर की. गोष्ठी को संबोधित करते हुए सुगन बरंठ ने कहा कि […]
मुजफ्फरपुर: चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष की शुरुआत एलएस कॉलेज में रविवार को ‘चंपारण सत्याग्रह एवं समकालीन परिवेश’ गोष्ठी के साथ हुई. इसका उद्घाटन वरिष्ठ गांधीवादी प्रो रामजी सिंह, सर्वसेवा संघ के अध्यक्ष सुगन बरंठ व समाज सेवी प्रो एमएन कर्ण ने दीप प्रज्वलित कर की.
गोष्ठी को संबोधित करते हुए सुगन बरंठ ने कहा कि विकास की जो राह हमनें पकड़ी है, वह गांधी की सोच के एकदम उलट है. जो खादी बगावत का झंडा था, आज वह अपनी पहचान खो चुका है. शिक्षा व सफाई की हालत खादी जैसी हो गयी है. इस परिवेश में चंपारण सत्याग्रह पर विचार बेहद कठिन है. लेकिन विचार के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है. अगर ऐसा नहीं किया गया तो अंधेरा और बढ़ना तय है.
प्रो रामजी सिंह ने कहा कि शताब्दी वर्ष को इस तरह मनाएं कि सत्याग्रह की ताकत समाज में स्थापित हो जाये. हमारा देश तो आजाद हुआ, लेकिन हमारी शिक्षा पद्धति आज भी आजाद नहीं है. गांधी जी चाहते थे कि शिक्षा स्वत्रंत हो, स्वायत्त हो, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. पहले शिक्षा सरकार की दासी थी और वर्तमान में पूंजीवाद की दासी बनकर रह गयी है. एमएन कर्ण ने कहा कि चंपारण से ही गांधीजी की ट्रेनिंग शुरू हुई थी. चंपारण से ही गांधी युग की शुरुअात हुई थी. इसी सत्याग्रह की बदौलत पूरी दुनिया को उन्होंने वैकल्पिक दृष्टि दी. डॉ प्रमोद कुमार ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह में विकास के वर्तमान माॅडल के विकल्प के बीज सन्निहित हैं.
अतिथियों का स्वागत संयोजक रमण कुमार ने किया. कार्यक्रम का संचालन व विषय प्रवेश की भूमिका गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिंह ने करते हुए गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह पर प्रकाश डाला. अध्यक्षीय ज्ञापन रमेश चंद्र ने दिया. कार्यक्रम में प्रो विकास नारायण, रमेश
ऋतंभर, प्रो गजेंद्र कुमार, विनय कुमार प्रशांत, संजीत किशोर, प्रभात कुमार, डीके विद्यार्थी, हेमंत कुमार, शमीम अहमद, सोनू, संजय कुमार, रामू मोहन प्रसाद, वंदना शर्मा, ममता कुमारी आदि मौजूद थे.
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