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संस्कृति की पहचान है संस्कृत

संस्कृति की पहचान है संस्कृत मुजफ्फरपुर. मिथिलेश अध्ययन केंद्रम भोला चौक में शुक्रवार को राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित अनौपचारिक शिक्षा केंद्र का समापन हुआ. निदेशक राम लखन झा ने कहा कि संस्कृत सबसे पुरानी जीवित भाषा है. इससे संस्कृति की पहचान होती है. वैज्ञानिक युग में संस्कृत को अलग करने के कारण आज लोग […]

संस्कृति की पहचान है संस्कृत मुजफ्फरपुर. मिथिलेश अध्ययन केंद्रम भोला चौक में शुक्रवार को राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित अनौपचारिक शिक्षा केंद्र का समापन हुआ. निदेशक राम लखन झा ने कहा कि संस्कृत सबसे पुरानी जीवित भाषा है. इससे संस्कृति की पहचान होती है. वैज्ञानिक युग में संस्कृत को अलग करने के कारण आज लोग अपने आप को भी नहीं पहचान रहे हैं. साथ ही समाज में बुराइयां भी बढ़ती जा रही है. संस्कृत जब आबाद होगी तो सामाजिक समरसता के आंदोलन का नया आकार लेगी. इस मौके पर गंगाधर मिश्र, विजय शंकर पाठक, वसुंधरा देवी, रिंकू कुमारी, कुमार गौरम, प्रांजल, सुजल, शाहिल, जतीन, तुबा, सिद्धार्थ आदि थे. अध्यक्षता डॉ लक्ष्मी मिश्र ने की.

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