मुजफ्फरपुर: टीवी सीरियलों व रुपहले परदों पर आपने कई बार ‘मशीनी मानव (रोबोट)’ देखा होगा. यह रोबोट एक इशारे पर कोई भी काम चुटकी बजाते पूरा कर देता है. इन्हें देख सहसा ही मन में ख्याल उठता है, आखिर रोबोट काम कैसे करते हैं! तो शहर के लोगों का यह सस्पेंस जल्द ही खत्म होने वाला है. देश में रोबोटिक एजुकेशन की सर्वोच्च संस्थानों में से एक ‘टेक्नोफिलिया सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड’ एमआइटी कॉलेज में सैकड़ों छात्रों को रोबोट बनाने की तकनीक से रू-ब-रू कराने के लिए कार्यशाला का आयोजन करने जा रही है.
चार से छह जनवरी तक कॉलेज परिसर में होने वाले इस कार्यशाला में बिहार के अलावा झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा जैसे राज्यों के इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र-छात्रएं हिस्सा लेंगे. इसके लिए कंपनी मुंबई से विशेषज्ञों के टीम भेजने के साथ प्रतिभागियों को ‘रोबोट किट’ भी उपलब्ध करायेगी. फिलहाल इसके लिए सौ से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया है.
इंडो-यूएस रोबो लीग का है हिस्सा. टेक्नोफिलिया सिस्टम हर वर्ष रोबोटिक एंड कंप्यूटर अप्लीकेशन इंस्टीच्यूट ऑफ यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका (यूएसए) के साथ मिल कर ‘इंडो-यूएस रोबो लीग’ का आयोजन करती है. यह चार चरणों में होता है. प्रथम चरण में कंपनी देश के चुनिंदा सौ कॉलेजों को अलग जोन में बांटती है. एक कॉलेज को जोनल सेंटर घोषित किया जाता है. इन्हीं सेंटरों पर कार्यशाला का आयोजन किया जाता है. एमआइटी कॉलेज को इस बार उत्तर-पूर्व जोन का सेंटर घोषित किया है. यह पहला मौका है, जब बिहार या झारखंड के किसी इंजीनियरिंग कॉलेज को यह उपलब्धि हासिल हुई है.
रोबो गेम्स में भाग लेने का मिलेगा मौका. इंडो-यूएस रोबो लीग के तहत सभी जोनल सेंटर में कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों से रोबोट निर्माण से संबंधित एक सवाल पूछा जायेगा. इसमें जो प्रतिभागी विजेता होगा, उसे मुंबई आइआइटी में अगले वर्ष 22 व 23 मार्च को राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा. वहां जो विजेता होगा, उसे अगले साल अमेरिका में आयोजित होने वाले रोबो गेम्स में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा. रोबो गेम्स विश्व की सबसे बड़ी रोबोटिक प्रतियोगिता है और इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह मिल चुका है. इस रोबो गेम्स में भाग लेने का सारा खर्च कंपनी उठायेगी.
पैर वाले रोबोट का कर सकेंगे निर्माण
कार्यशाला के लिए कोर्स को-ऑर्डिनेटर बनाये गये आदित्य बताते हैं, भारत में अब तक अधिकांश ह्वील (चक्का) पर चलने वाले रोबोट का निर्माण होता रहा है. तीन दिवसीय कार्यशाला के दौरान पहली बार पैर पर चलने वाले रोबोट के निर्माण की विधि बतायी जायेगी. इसमें प्रतिभागियों को रोबोट के अंदर फिट किये जाने वाली माइक्रो प्रोग्रामिंग के निर्माण की विधि भी बतायी जायेगी.