मामला पंचायत चुनाव का, प्रशासनिक रिपोर्ट में खुलासा
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर में पंचायती चुनाव के दौरान हिंसा व धनबल का जम कर इस्तेमाल होने की आशंका है. कारण चुनाव में कई ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनका नक्सलियों से कनेक्शन हैं, तो कुछ का मुंबई कनेक्शन भी है. यही नहीं कई ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनके पति, ससुर सहित अन्य रिश्तेदार की गिनती क्षेत्र के दबंगों में होती है.
वे चुनाव में गड़बड़ी फैला सकते हैं. खुद जिला प्रशासन का ऐसा मानना है. प्रभात खबर को प्रशासन की जो रिपोर्ट हाथ लगी है, उसके अनुसार जिले की 51 ग्राम पंचायतों व एक जिला पर्षद क्षेत्र में सबसे ज्यादा गड़बड़ी की आशंका है. प्रशासन का मानना है कि जहां दबंग प्रत्याशी आमने-सामने हैं, वहां हिंसा भी भड़क सकती है. आपसी रंजिश भी चुनाव के दौरान हिंसा का कारण बन सकता है. प्रशासन इसको लेकर सतर्क है.
डीएम धर्मेंद्र सिंह ने दोनों एसडीओ, सभी डीएसपी, सभी बीडीओ और सभी थानाध्यक्षों को चिह्नित सभी पंचायतों व जिला पर्षद क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने का आदेश दिया है.
प्रभात एक्सक्लूसिव
हथियार के लेन-देन में भी शामिल हैं प्रत्याशी
– 51 पंचायत व एक जिला पर्षद क्षेत्र में गड़बड़ी की आशंका
– जीतने के लिए प्रत्याशी कर सकते हैं हिंसा व धनबल का इस्तेमाल
– रिश्तेदारों के दबंग होने के कारण भी है गड़बड़ी के आसार
मोतीपुर के लीची बागान में दो सौ कौआें की मौत
मोतीपुर : मोतीपुर के बरजी निवासी राजेश्वर ओझा के लीची बगान में एक साथ दो सौ कौओं की मौत हो गयी. मंगलवार को घटी इस घटना से क्षेत्र में सनसनीखेज फैल गयी है. एक साथ इतने पक्षी के मरने से गांव सहित आसपास के इलाके में भय का माहौल है. लोग इस घटना को महामारी की आशंका से जोड़ कर भी देख रहे हैं.
हालांकि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद अब तक इस मामले की जांच को कोई भी पदाधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा. बगीचे के मालिक राजेश्वर ओझा ने बताया कि उनके बगीचे से एक साथ ढेर पक्षियों के चहचहाने की आवाज सुनाई पड़ी. जब वे अपने बगीचे में गये, तो एक साथ कई पक्षियों को मरा पाया. कुछ पेड़ से गिर- गिर कर छटपटा रहे थे. उन्हें लगा की गरमी से मौत हो रही है, तब जमीन पर गिरे पक्षियों पर पानी डाला, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
एक-एक कर पक्षी पेड़ से गिरते रहे और दम तोड़ते रहे. सूचना पर आसपास के लोग पहुंचे. लोगों का कहना था यह बड़ी अनहोनी का संकेत हो सकता है. ग्रामीण गुुड्डू ओझा, रामचंद्र ओझा, सुनील ओझा, संजय ओझा, अखिलेश ठाकुर, नारेंद्र ओझा, नन्हे ओझा बताते हैं कि कौओं का मरना पर्यावरण के लिए सही नहीं है. बीडीओ श्रीकांत ठाकुर मौके पहुंचे, तो पर्यावरण विभाग का मामला बता कर कुछ भी करने से इनकार कर दिया.
डीएफओ मिहिर कुमार झा ने बताया कि इस घटना की सूचना मिली है. जांच होगी. इधर, पर्यावरणविद सुरेश गुप्ता बताते हैं कि कीटनाशक वाला पानी पीने, या विष खाने से मरे जीवों को खाने से ऐसा हुआ होगा. लेकिन, यह गंभीर जांच का विषय है.
बरजी निवासी राजेश्वर ओझा के बगीचे में घटी घटना
महामारी की आशंका से भयभीत हैं इलाके के लोग
जमीन पर गिर कर छटपटा कर कौवे मरते रहे
अब तक जांच को नहीं पहुंचे पदाधिकारी