मुजफ्फरपुर: कंपकंपाती ठंड से एसकेएमसीएच के मरीज बेहाल हैं. अस्पताल के वार्ड एक से 12 तक की खिड़कियों के शीशे टूट गये हैं. वार्डो में ठंडी हवा प्रवेश कर रही है. इससे ठंड के कारण मरीजों की स्थिति बिगड़ रही है. ठंड के कारण बच्चे कोल्ड डायरिया की चपेट में आ कर अस्पताल में भरती हैं. बच्च वार्ड में करीब दो दर्जन से अधिक बच्चों का इलाज चल रहा है. ये बच्चे कोल्ड डायरिया व सांस संबंधी बीमारी से ग्रसित हैं. इस वार्ड की खिड़कियों में भी शीशे नहीं लगे है.
वार्ड दो में भरती अहियापुर के मुकेश सहनी के डेढ़ वर्षीय पुत्र पवन कुमार, हरपुर बखड़ी के राधेश्याम राम के दस वर्षीय पुत्र नीतीश कुमार, हथौड़ी नरमा गांव के मंगल प्रसाद के पुत्र गुलशन कुमार व रसूलपुर के लोकनाथ के पुत्र सुजीत कुमार कोल्ड डायरिया से ग्रसित हैं. यह बच्चे 25, 32 व 23 नंबर बेड पर भरती हैं. बेड के सामने ही खिड़की है, जिसके शीशे टूटे हैं. खिड़की से ठंडी हवा आने के कारण उनकी स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती जा रही है. परिजनों का कहना है कि ठंड लगने के कारण बच्चे कोल्ड डायरिया की चपेट में आ गये हैं. लेकिन, वार्डो की खिड़कियों में शीशे नहीं रहने के कारण स्थिति और खराब हो गयी है. बच्चों की स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती जा रही है.
प्रसूति वार्ड की खिड़कियां टूटी : अस्पताल के प्रसूति एवं प्रसव वार्ड की स्थिति भी खराब है. यहां भी खिड़कियों में लगे शीशे टूटे है. इससे प्रसव के लिए आयी महिलाओं को शर्मिदगी उठानी पड़ती है. खिड़की में शीशे नहीं रहने के कारण बाहरी परिसर से लोगों की नजर महिलाओं पर पड़ती है. किसी तरह खिड़की में कूट व कागज लगा कर परदा किया जाता है.
एक करोड़ मिलने के बाद भी नहीं लगा शीशा : साल भर पहले प्रभात खबर में ‘ठंड से मरीज बेहाल’ शीर्षक से खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन की नींद खुली थी. तब आनन-फानन में अनुपम कुमार ने अस्पताल की समस्याओं को लेकर भवन निर्माण विभाग, पीडब्ल्यूडी, पीएचइडी के अधिकारियों के साथ बैठक कर सभी वार्डो की खिड़कियों के शीशे बदलने का निर्देश दिया था. इसके लिए एक करोड़ की राशि भवन निर्माण विभाग को उपलब्ध करायी गयी थी. लेकिन, एक वर्ष बीत जाने के बाद भी वार्डो की खिड़कियों में शीशे नहीं लगाये गये.
भवन की मरम्मत भवन निर्माण विभाग के जिम्मे है. एक साल पूर्व डीएम ने विभाग के अधिकारियों को शीशा लगाने का निर्देश दिया था. लेकिन, अब तक खिड़कियों में शीशे नहीं लगाये गये
हैं. खिड़कियों में शीशे नहीं रहने के कारण ठंड से भरती मरीजों को परेशानी हो रही है. मरीजों को ठंड से बचाने के लिए तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है.
डॉ जीके ठाकुर
अधीक्षक, एसकेएमसीएच