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विडंबना: 1994 तक विवि को हर माह मिलता था एक लाख 40 हजार, कंटीजेंसी के लिए महज 25 हजार
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि का केमेस्ट्री डिपार्टमेंट 25 हजार खर्च कर छात्रों से रिसर्च करवा रहा है, जबकि एक केमिकल की कीमत लाखों में है. इस कारण छात्रों को अपनी जेब से पैसे खर्च कर रिसर्च व एक्सपेरीमेंट करना पड़ रहा है. यह हाल तब है जब सरकार छात्रों के ऊपर करोड़ों रुपये खर्च करने […]
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि का केमेस्ट्री डिपार्टमेंट 25 हजार खर्च कर छात्रों से रिसर्च करवा रहा है, जबकि एक केमिकल की कीमत लाखों में है. इस कारण छात्रों को अपनी जेब से पैसे खर्च कर रिसर्च व एक्सपेरीमेंट करना पड़ रहा है. यह हाल तब है जब सरकार छात्रों के ऊपर करोड़ों रुपये खर्च करने की बात कह रही है. ऐसी स्थिति में अंदाजा लगाया जा सकता है कि केमेस्ट्री के प्रयोगशाला में छात्रों को किन परिस्थितियों में रिसर्च व एक्सपेरीमेंट करने पड़ रहें होंगे.
इंस्टूमेंट तो हैं पर केमिकल नहीं
विवि के पास केमेस्ट्री विभाग में करोड़ों रुपये के इंस्टूमेंट है. इनमें क्रोमेटो ग्रापी, एसटीएलसी, एफटीआइआर सहित यूबी उपकरण है. कई ऐसे उपकरण हैं जिनकी कीमत 70 से 80 लाख रुपये है. केमिकल महंगें होने की वजह से छात्र इन उपकरणों पर रिसर्च नहीं कर पा रहा हैं, जबकि केमिकल साल्ववेट व एसिटोन का उपयोग सबसे ज्यादा रिसर्च व एक्सपेरीमेंट में होता है. इतना ही नहीं ग्लेशियर एसिटिक एसिड के 100 ग्राम की कीमत तीन लाख रुपये से अधिक की है.
पहले मिलते थे हर माह एक लाख 40 हजार रुपये
कंटीजेंसी सहित केमेस्ट्री के केमिकल व गैस के नाम पर 1994 तक विवि को हर माह एक लाख 40 हजार रुपये मिलते थे. धीरे-धीरे में इस मद में विवि ने कटौती शुरू कर दी. 1994 के बाद से हर माह कंटीजेंसी के नाम पर हर साल विभाग को 50 हजार रुपये मिलने लगा. 2013 में फिर से इस मद में कटौती कर दी गई. 2013 से 50 हजार की जगह 25 हजार रुपये ही विभाग को दिए जाने लगे.
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