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जूनियर इंजीनियर, ठेकेदार भी बना, जांच अधिकारी भी
मुजफ्फरपुर : जिला परिषद में गोलमाल की खबरें पहले भी आती रही हैं. ताजा मामला 13वें वित्त आयोग में कराये गये काम का है, जिसमें एक जूनियर इंजीनियर (कनीय अभियंता) खुद की ठेकेदार भी बन गया. काम करवाया और जांच अधिकारी भी बन गया. दो योजनाओं पर काम करवाकर लगभग 13 लाख रुपये सरकारी खजाने […]
मुजफ्फरपुर : जिला परिषद में गोलमाल की खबरें पहले भी आती रही हैं. ताजा मामला 13वें वित्त आयोग में कराये गये काम का है, जिसमें एक जूनियर इंजीनियर (कनीय अभियंता) खुद की ठेकेदार भी बन गया. काम करवाया और जांच अधिकारी भी बन गया. दो योजनाओं पर काम करवाकर लगभग 13 लाख रुपये सरकारी खजाने से निकाल भी लिये. जब ऑडिट रिपोर्ट में इस पर सवाल उठाये गये, तो विभाग की ओर से कहा गया कि संबंधित अभियंता से पत्रचार किया जा रहा है.
मामला कांटी प्रखंड की झिटकाहीं मधुबन पंचायत से जुड़ा है. जहां के महरथा गांव में मदरसा से गांव को जोड़ने व जहूर हसन के घर से मदरसा तक सड़क बननी थी. इसके लिए दो योजनाएं तैयार की गयीं. दोनों को जुलाई 2014 में बनाया गया और उसी महीने में इन्हें प्रशासनिक स्वीकृति मिल गयी. इन योजनाओं की देखरेख का जिम्मा कनीय अभियंता नागेश्वर मंडल को मिला था, जो इनके ठेकेदार भी बन गये. मदरसा से गांव जानेवाली पीसीसी सड़क के लिए 7,34,800 रुपये का प्राक्कलन बना.
जहूर हसन से मदरसा जानेवाली सड़क के लिए 5,59,500 रुपये आबंटित हुये. इन दोनों योजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति क्रमश: 22 व 24 जुलाई 2014 को मिली, तब इसके लिए तैयार कार्यादेश पर काम शुरू करने की तारीख नहीं लिखी गयी थी. इन दोनों योजनाओं को उसी साल अक्तूबर महीने में पूरी दिखा दिया गया. इसके मद में भुगतान भी करा लिया गया.
कनीय अभियंता पहली योजना का भुगतान प्राक्कलन से 101 रुपये कम लिया, जबकि दूसरी योजना का पूरा भुगतान ले लिया. मजेदार बात ये है कि काम पूरा होने के बाद इनकी जांच विभाग के सहायक या मुख्य अभियंता को करनी थी, जो नहीं करायी गयी. उसकी जगह कनीय अभियंता ने काम पूरा होने का भौतिक सत्यापन कर दिया और इसे पूरा मान लिया गया. ऑडिट रिपोर्ट में लिखा गया है कि तीनों काम एक ही अभियंता ने कर दिये, जबकि ये काम अलग-अलग अभियंताओं से करवाये जाने थे.
एक समय दो जगह किया काम : रिपोर्ट में पांच मजदूरों डब्लू राम, राजू राम, शंभू राम, रीतलाल राम व विक्की राम को एक ही समय में दो जगह काम करते दिखाया गया है. इनकी एवज में 1126 रुपये का भुगतान ले लिया गया. ऑडिट रिपोर्ट में इस भुगतान पर भी सवाल उठाया गया है. कहा गया है कि संबंधित अभियंता से उक्त राशि की वसूली की जानी चाहिये.
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