प्रवचन के क्रम में फादर मैथ्यू ने कहा कि मनुष्य के जीवन में दुख सुख आते-जाते रहते हैं, इससे घबराना नहीं चाहिए. हमलोगों को एक दूसरे की मदद के लिए तैयार रहना चाहिए. जैसे सिमोन ने ईसा के क्रूस ढोने में मदद की, वैसे ही हमें भी बसके दुखों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए. विधि के अनुसार फादर भास्कर ने चर्च की सारी ढकी मूर्तियों को उपासना के साथ अनावरण किया. उन्होंने कहा कि क्रूस के काठ को देखिये, जिस पर संसार के मुक्तिदाता टंगे थे.
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क्रूस को देखिये, इस पर टंगे थे संसार के मुक्तिदाता
मुजफ्फरपुर: प्रभु यीशु की आराधना व उनके बलिदान का प्रतीक गुडफ्राइडे शुक्रवार को गमगीन माहौल में मनाया गया. ईसाई समुदाय के लोगों ने कार्यक्रम की शुरुआत क्रूस रास्ता से की. लेनिन चौक स्थित संत फ्रांसीसी चर्च में सैकड़ों ईसाई धर्मावलंबी दुखभाेग में सहभागी रहे. मुख्य अनुष्ठानकर्ता फादर मैथ्यू, फादर भास्कर, फादर जयकुमार, फादर अलबर्ट व […]
मुजफ्फरपुर: प्रभु यीशु की आराधना व उनके बलिदान का प्रतीक गुडफ्राइडे शुक्रवार को गमगीन माहौल में मनाया गया. ईसाई समुदाय के लोगों ने कार्यक्रम की शुरुआत क्रूस रास्ता से की. लेनिन चौक स्थित संत फ्रांसीसी चर्च में सैकड़ों ईसाई धर्मावलंबी दुखभाेग में सहभागी रहे. मुख्य अनुष्ठानकर्ता फादर मैथ्यू, फादर भास्कर, फादर जयकुमार, फादर अलबर्ट व फादर पुलिकल थे. इस मौके पर फादर भास्कर, मुकुटमणि व आनंद ने बाइबिल में लिखित प्रभु के दुखभोग को पढ़कर सुनाया.
धोये गये बारहों शिष्यों के पैर
गुरुवार को विधि के अनुसार चर्च में 12 शिष्यों के पैर धोये गये. प्रभु यीशु ने अपने 12 शिष्यों के पैर धोए थे, उसी परपंरा का निर्वहन करते हुए चर्च में भी शिष्यों का पैर धोकर प्रभु की विनम्रता को दर्शाया गया. मन्नत के अनुसार अनूप माइकल ने सभी शिष्यों को अपने यहां भोजन पर आमंत्रित किया था.
राखबुध से हुई थी पर्व की शुरुआत
पर्व की शुरुआत 10 फरवरी को राखबुध से हुई थी. इस दिन सभी ईसाई समुदाय के लोगों ने माथे पर राख लगा कर शपथ ली थी कि ऐ मनुष्य तुम मिट्टी के बने हो, मिट्टी में मिल जाओगे. इसके 45 दिनों के बाद लोगों ने अपने पापों के लिए प्रायश्चित किया. राखबुध के पर्व के बाद से ही बुधवार व शुक्रवार को चर्चों से क्रूस की यात्रा की शुरुआत हुई थी. इसमें फादर ने यीशु को शत्रुओं के हाथों सुपुर्द करना, प्राणदंड की आज्ञा देना, रास्ते में क्रूस लेकर तीन बार गिरना, सिमोन से क्रूस ढोने में मदद लेना, विरेनिका द्वारा रूमाल से मुंह पोंछना, क्रूस पर कीलों से ठोंकना, मृत शरीर को माता मरियम के गोद में रखना जैसे कई दृश्य प्रार्थना के माध्यम से बताये गये थे.
आज मनेगा प्रभु के जी उठने का पर्व : आज चर्च में प्रभु के जी उठने का पर्व मनेगा. रात्रि 11 बजे प्रभु के जीने का पर्व खुशी-खुशी मनाया जायेगा. इससे पहले उपवास व परोज जारी रहेगा. मुकुटमणि ने कहा कि खुशी का यह पर्व रविवार के अहले सुबह शुरू होगा.
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