मुजफ्फरपुर: पीड़ित मानवता को कुछ दीजिए न दीजिए, लेकिन उसे हंसी जरूर दे दीजिए. उसके चेहरे पर मुस्कान जरूर बिखेर दीजिए. यह मानवता की सबसे बड़ी सेवा है. परेशान मरीज आपके पास आते हैं उसे हंसता हुआ वापस घर भेज दीजिए. डॉक्टरों के लिए इससे बड़ी कोई सेवा नहीं हो सकती. मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है. सभी चीजों का मूल यही है. यह बातें पूर्व मंत्री सह एसकेएमसीएच के पूर्ववर्ती छात्र डॉ शकील अहमद ने मंगलवार को एसकेएमसीएच कॉलेज में आयोजित स्थापना दिवस सह पूर्ववर्ती छात्र मिलन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही.
नैतिकता घटी तो घटा सम्मान
उन्होंने कहा, समाज में राजनेताओं व डॉक्टरों का बड़ा सम्मान हुआ करता था. लेकिन नैतिक पतन के कारण लोगों ने सम्मान देना कम कर दिया. नैतिकता का पतन केवल डॉक्टरी और राजनीति में नहीं हुआ है. समाज के हर क्षेत्र में नैतिकता का पतन हुआ है. ऐसे में हम सब की जिम्मेदारी है, जो नैतिकता घटी है, उसे अपने व्यवहार में बदलाव लाकर हासिल कर सकते हैं.
डॉ शकील ने कहा, देश आजादी के बाद मेडिकल साइंस में काफी तरक्की हुई है. प्रमाण है कि आजादी से पूर्व औसत भारतीय की उम्र 32 साल थी. अब बढ़कर 68 साल हो गई है. मृत्यु दर में काफी कमी आई है. यह भारतीय चिकित्सा विज्ञान की बहुत बड़ी देन है.
डॉ शकील ने कहा कि शिक्षकों के मार्गदर्शन से मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं. गुरुजनों से मिली प्रथम शिक्षा मरीज का इलाज कर पूरा किया. कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों से कहा कि वह बेहतर तरीके से अपना चिकित्सीय धर्म को निभायें.
डॉक्टरों के अंदर की मर रही है संवेदना
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ वीरेंद्र किशोर ने कहा कि जब दुनिया में मानव का विकास हुआ तो उस वक्त सर्जरी शुरू हुई होगी. हमारे सभी पैथी की जननी सिमपैथी है. आज डॉक्टर के अंदर की संवेदना समाप्त हो रही है. डॉक्टर से वह इविल बन रहे है. इस प्रवृत्ति को बदलने की जरूरत है.
श्री कृष्ण सिंह की प्रतिमा पर हुआ माल्यार्पण
कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज में फ्लैग के झंडोतोलन के साथ प्राचार्य डॉ विकास कुमार ने की. इसके बाद कॉलेज के छात्रों ने कॉलेज सांग व सीआरपीएफ बैंड के साथ फ्लैग मार्च किया. कॉलेज चिकित्सक व छात्र सहित पूर्ववर्ती छात्र भी शामिल थे. श्री कृष्ण सिंह की प्रतिमा पर लोगों ने माल्यार्पण किया गया. पूर्ववर्ती छात्र मिलन समारोह की शुरुआत दीप प्रज्जवल के साथ हुई. मौके पर सभी बैच के पूर्ववर्ती छात्रों को बैच वाइज सम्मानित किया गया.
यहां की बीमारी शोध मेटरेरियल
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ टीके झा ने कहा कि आज भी उत्तर बिहार में बहुत सी ऐसी बीमारी है. यह छात्रों के लिए शोध मेटेरियल का काम कर सकती है. पैथोलॉजिकल जांच से इन बीमारियों की जानकारी मिलती है. डॉक्टर केवल इलाज ही नहीं व्यक्ति के रूह को बदलने का काम करते है.