मुजफ्फरपुर: अनियमितता को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा नगर निगम में परत-दर-परत घोटाले व अवैध भुगतान का मामला सामने आता रहा है. सीएजी की 2013-14 की रिपोर्ट में भी कई बड़े पैमाने पर अनियमितता बरतते हुए भुगतान किए जाने का मामला सामने आया है. सफाई कार्य के लिए लगाए गए एजेंसी निदान को बड़े पैमाने पर अवैध भुगतान की बात भी रिपोर्ट में दर्शाई गई है. निदान को 2013-14 में 2,25,06,305 किया गया था.
रिपोर्ट में बताया गया है कि कूड़े के साथ पानी युक्त सिल्ट व मिट्टी का वजन कराया जाता था. इसकी वजह से कई वार्डाें में जगह-जगह गड्ढे हो गए थे. निगम के सहायक अभियंता व नगर प्रबधंक की जांच रिपोर्ट का यह बात सामने आई थी. जिसके बाद भुगतान में 30 से 50 प्रतिशत की कटौती करनी थी. लेकिन मात्र पांच प्रतिशत कटौती कर करीब 58 लाख रुपये का अवैध भुगतान कर दिया गया.
19 फरवरी 2010 को निदान से सफाई को लेकर इकरार नामा हुआ था. जिसमें प्रत्येक घर से कूड़ा संग्रह, मुख्य सड़कों पर झाड़ू लगाना, नालियों की उड़ाई व सफाई, कूड़ा काे चिन्हित स्थल व कूड़ेदान में रखना, प्रत्येक दिन कूड़ेदान से कूड़े का उठाव, कूड़े को डिस्पोजल स्थल पर रखना, जागरूकता कार्यक्रम करना आदि शामिल था. इकरार के अनुसार 760 प्रति टन कूड़े का भुगतान प्रतिवर्ष 3.5 प्रतिशत की वृद्धि करना शामिल था. रिपोर्ट में यह बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 में 24 वार्डाें में सफाई का कार्य निदान के पास था.
फोटो ग्राफी के साथ उठाना था कूड़ा : निदान से हुई इकरारनामा के अनुसार फोटो ग्राफी के साथ कूड़ा का उठाव होना था. कूड़ा स्थल पर कूड़े का गिराव व खाली वाहन वापसी का भी फोटा ग्राफी करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कूड़ा गिराने की जगह पर निगम कर्मचारी की तैनाती भी नहीं की गई थी.
कूड़ा तौल में भी गड़बड़ी का खुलासा
रिपोर्ट में यह बताया गया है कि निदान के कूड़ा तौल के रसीद के नमूना जांच में पाया गया कि विभिन्न तिथियों में आठ वाहनों में सामान समय में सामान वाहनों द्वारा दो बार वजन किया गया. जबकि आठ वाहनों के मामलों में यह बात सामने आई कि अाधे घंटे में उसी वाहनों के कूड़ा का फिर से वजन कराया गया. इस प्रकार तौल किए गए कूड़ों का 26865 रुपये अधिक भुगतान कर दिया गया. इसकी वसूली के लिए निर्देश दिया गया था.