मुजफ्फरपुर : बढ़ रहे अपराध और थाने का बोझ कम करने के लिए सरकार ने ग्राम कचहरी सजाने का मन बना लिया है. सरपंच को गांव के छोटे-मोटे मामले निबटाने का अधिकार दिया गया है, जिसका कड़ाई से पालन करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने सभी एसओ, ओपी, पुलिस निरीक्षक व डीएसपी को निर्देशित किया गया है. साथ ही स्पष्ट निर्देश है कि इसके अनुपालन में अगर किसी अधिकारी के स्तर से ढिलायी बरती गयी, तो उसके खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी. साथ ग्राम कचहरी को आवश्यक सहयोग प्रदान करने का भी निर्देश दिया गया है. ग्राम पंचायत के क्षेत्र में हुये अपराधों की सुनवायी का अधिकार ही ग्राम कचहरी को होगा.
सनहा थाने में, सुनवायी ग्राम कचहरी में . बिहार पंचायत राज्य अधिनियम की धारा-106 में अंकित मामले थाना के संज्ञान में अगर लाये जाते हैं, तो ऐसे मामलों में अविलंब सनहा दर्ज कर लिया जायेगा.
सनहा की प्रति आवेदनकर्ता सह पीड़ित व्यक्ति को हस्तगत कराते हुए उन्हें ग्राम कचहरी में अपनी शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी जाएगी. यानि पुलिस घटना की सूचना पर सनहा तो दर्ज कर लेगी, लेकिन सुनवाई के लिए ग्राम कचहरी में ही जाना होगा. इसका क्रियान्वयन करने के लिए सभी पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं.
ग्राम कचहरी में पहुंचा मामला तो नहीं लेगा थाना
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा-109 व 110 के अधीन चलायी गयी कार्रवाई में सद्व्यवहार के लिये किसी व्यक्ति को करारबद्ध किया गया हो तो ग्राम कचहरी उससे संबंधित मामलों को संज्ञान में नहीं लेगा. साथ ही यह भी कहा गया है कि ग्राम कचहरी द्वारा विचारित किये जाने वाले वाद को थानाध्यक्ष भी स्वीकार नहीं करेंगे.