क्विंटल पर पांच सौ रुपये बोनस दे सरकार तब खरीदेंगे धान बिचौलियों को किसान दे रहे धान एक क्विंटल धान में 67 किलो चावल नहीं धान में गुणवत्ता का चावल पर सीधा असरप्रशासन ने नहीं लिया चावल तो बेचेंगे कहां?सभी पैक्स अध्यक्षों के पास अपना मिल नहीं रबी की खेती में किसानों को है पैसे की जरूरतवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर धान खरीद की हालत पतली हो गई है. सहकारिता विभाग की नीतियां किसानों और पैक्स अध्यक्षों के गलें में फंसी हुई है. यही कारण है कि अभी तक मात्र 973 एमटी धान ही खरीद हुई है. पैक्स अध्यक्षों का बड़ा भाग धान खरीद की नीतियों के विरोध में हर दिन अपनी आवाज बुलंद कर रहा है. पैक्स अध्यक्ष सहकारिता विभाग से पुरानी नीतियों पर धान खरीद खरीद की वकालत कर रहे हैं. इस बात को लेकर सहकारिता विभाग और पैक्स अध्यक्षों में ठनी हुई है. कोई भी हल निकलने को तैयार नहीं है. पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि प्रति क्विटल 500 रुपये बोनस की घोषणा सरकार को करना होगा. धान की मिलिंग करा कर चावल नहीं देंगे. सरकार ने प्रति क्विंटल धान में 67 किलोग्राम चावल देने का प्रावधान किया था. लेकिन धान से इतनी अधिक मात्रा में चावल नहीं निकल सकता है. इसका विरोध किया जा रहा है. सुखाड़ के कारण धान की गुणवत्ता अच्छी नहीं है. 50 से 55 किलोग्राम ही चावल निकल रहा है. 67 किलो चावल के लिए 1.20 किलोग्राम धान चाहिए. पैक्स अध्यक्ष बोले नहीं देंगे 67 किलो चावल सहकारिता विभाग की नीतियों के विरोध में पैक्स अध्यक्ष अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. सभी ने एक स्वर में कहा, धान गुणवत्ता की कमी है. 67 किलोग्राम चावल किसी भी हाल में नहीं दे सकते हैं. शर्फुद्दीनपुर पैक्स अध्यक्ष सह मिलर बच्चा बाबू चौधरी बताते हैं कि एक क्विंटल धान में चावल 67 किलो चावल तैयार नहीं हो रहा है. सुखाड़ में उपजे धान में गुणवत्ता की कमी है. चावल में काला निकल रहा है. बोचहां पैक्स संघ अध्यक्ष कौशलेंद्र प्रसाद सिंह बताते हैं कि अधिकांश पैक्स अध्यक्षों के पास अपना मिल व भवन नहीं है. ऐसी स्थिति में धान से चावल कुटाना और रख-रखाव बड़ी चुनौती है. कर्णपुर दक्षिणी अमरेंद्र कुमार मुन्ना बताते हैं कि धान मिल रहा है उसमें काला अधिक है. पैक्स के पास गोदाम व मिल दोनों नहीं है. धान को लेकर कहां जाये? मीनापुर के पैक्स अध्यक्ष मथुरा प्रसाद चौधरी बताते हैं 67 प्रतिशत चावल देना है. 50 से 55 किलो चावल निकल रहा है. घाटा का सौदा होगा. इनफोर्समेंट सीओ धान गत वर्ष धान नहीं लिया. धान बरबाद हुआ. बोनस देना सरकार की अपनी नीति है. धान खरीद की व्यवस्था चौपटधान खरीद की धीमी गति पर किसानों में आक्रोश है. किसानों का आरोप है कि धान खरीद की व्यवस्था चौपट हो गई हे. उनसर के किसान बलिराम प्रसाद सिंह बताते हैं कि उन्होंने अपना धान ग्रामीण व्यापारियों के हाथों 950 रुपये क्विंटल बेच दिया. खेती में पैसे की जरूरत थी, दूसरा कोई चारा भी नहीं था. उनसर किसान अरुण कुमार बताते हैं कि सौ क्विंटल से अधिक धान रखे हुए हैं. कर्ज लेकर खेती की है. लेकिन धान खरीदने वाला कोई नहीं है. सरकारी व्यवस्था से खिन्न होकर हमें भी बिचौलियों की शरण में जाना होगा. सुकेश कुमार बताते हैं कि सरकार ने इस वर्ष बोनस ही खत्म कर दिया. जैसी आमदनी की उम्मीद थी वैसी आमदनी नहीं हुई. अब धान के खरीदार नहीं मिल रहा है. बिचौलियों के माध्यम से धान बेचना पड़ेगा. अधिकारी बोले:::::::धान खरीद में नमी सबसे बड़ा बाधक बन रहा है. नमी में कमी आने पर खरीदारी में तेजी आयेगी. अभी जो विभाग ने धान का रेट तय किया है वह बाजार मूल्य से अधिक है. किसानों को सब रखकर धान पैक्सों को ही देने की जरूरत है. डॉ श्रवण कुमार, संयुक्त निबंधक, सहकारिता विभागसंगठन बोला::::::::::धान खरीद पर डीएम के दबाव में सहकारिता विभाग आकड़ा पेश कर रहा है. किसानों की खेती में लागत बढ़ी है. सरकार बोनस बढ़ाये. तब धान की खरीद करेंगे. धान की कुटाई करा कर सरकार को नहीं देंगे. सभी व्यवस्था पुराने पैटर्न पर चले तब कुछ होगा. वीरेंद्र कुमार राय, अध्यक्ष, जिला सहकारी संगठन.
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