देव संस्कृति के मानव का चिंतन उत्कृष्टप्रज्ञा पुराण कथा में भक्तों को संस्कारवान होने की दी गयी सीखराणी सती में चल रहे कथा के अंतिम दिन रही भक्तों की भीड़वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर रविवार का दिन भागवत कथा के नाम रहा. शहर में पहले से चल रहे कथा के अलावा दो स्थलों पर कथा की शुरुआत हुई. पिछले पांच दिनों से गायत्री परिवार की ओर से राणी सती मंदिर में चल रहे भागवत कथा का समापन किया गया. मौके पर प्रज्ञा पुराण कथा का प्रवचन करते हुए प्रदीप अवस्थी ने कहा कि देव संस्कृति के मानव पवित्र चरित्र, उत्कृष्ट चिंतन के हुआ करते हैं. संस्कार घर-घर होना चाहिए. इसके माध्यम से ही श्रेष्ठ आचरण बनता है. आज देव संस्कृति के मानव को उस स्तर का होना चाहिए, जिससे यह संस्कृति जगत गुरु, सोने की चिड़िया व चक्रवर्ती सम्राट बन जाये. कार्यक्रम के अंत में विराट दीपयज्ञ के माध्यम से विचारों में सुंदर परिवर्तन व अपने अंदर सद्ज्ञान का प्रकाश पैदा करने की बात कही.मौके पर काफी संख्या में भक्तों की भागीदारी रही.कथा सुनकर परम गति को प्राप्त हुआ धुंधकारीअंडीगोला स्थित जय जगदीश मंदिर में आयोजित भागवत कथा के तीसर दिन भक्तों की काफी भीड़ रही. कथा व्यास आचार्य संजय पराशर ने पंडित आत्मदेव, गौकर्ण, धुंधकारी, मानव जीवन व सत्संग की महिमा पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि आत्मदेव की पत्नी धुंधली थी. आत्मदेव ने तपस्या कर फल की प्राप्ति की, जिससे गोवर्ण महाराज का जन्म हुआ. धुंधली दुराचारिणी थी. दुष्ट प्रभाव के कारण उसका पुत्र धुंधकारी हुआ. लेकिन उद्दंड व्यवहार के कारण उसकी मृत्यु हो गयी. वे प्रेत योनि को प्राप्त हुए. श्राद्ध के बाद उनकी मुक्ति हुई. तब गोकर्ण महाराज के सपने में उन्होंने भगवान ने कथा कराने को कहा. आसाढ़ महीने में सप्ताह ज्ञान यज्ञ की कथा हुई. धुंधकारी कथा सुनकर परम गति को प्राप्त हुआ. कथा के यज्ञाचार्य ऋतु रंजन द्विवेदी, राघव झा, रत्नेश तिवारी, प्रमोद पांडेय, गौतम पांडेय व धीरज शाही सहित अनेक भक्त मौजूद थे. कथा के आयोजन में कृष्णनंदन झा, गौतम पांडेय व मुहल्लेवासी शामिल थे.कैकेयी के वर मांगने से राजा दशरथ विचलितपुरानी बाजार के शुक्ला रोड में चल रहे सात दिवसीय श्रीरामचरित मानस नवाह परायण यज्ञ में रविवार को भक्तों की काफी भीड़ रही. श्रीराम चरित मानस का पाठ किया गया. बेगूसराय से आये संत रामसुमिरन दास ने नवाह पाठ कर भक्तों को उसका सारांश सुनाया. इसके बाद उन्होंने कैकेयी व दशरथ प्रसंग सुना कर कहा कि कैकेयी ने जब अपने वर के रूप में राजा दशरथ से राम के बनवास की मांग की तो राजा दशरथ विचलित हो गये. कथावाचक ने राम का माता कौशल्या से विदाई व केवट संवाद भी सुनाया. आयोजन में सुनील कुमार की मुख्य भूमिका रही.
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देव संस्कृति के मानव का चिंतन उत्कृष्ट
देव संस्कृति के मानव का चिंतन उत्कृष्टप्रज्ञा पुराण कथा में भक्तों को संस्कारवान होने की दी गयी सीखराणी सती में चल रहे कथा के अंतिम दिन रही भक्तों की भीड़वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर रविवार का दिन भागवत कथा के नाम रहा. शहर में पहले से चल रहे कथा के अलावा दो स्थलों पर कथा की शुरुआत […]
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