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कीटाणु मजबूत हुये, हम कमजोर होते गये
विनय मुजफ्फरपुर : कुछ दशकों में मौसमी बीमारी (वाइरल) का स्वरूप काफी बदल गया है. पहले वाइरल तीन दिन का होता था, लेकिन अब इसकी मियाद बढ़ कर सात दिन तक हो गयी है. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा कीटाणुओं के मजबूत होने और हमारी प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण हुआ है. अगर […]
विनय
मुजफ्फरपुर : कुछ दशकों में मौसमी बीमारी (वाइरल) का स्वरूप काफी बदल गया है. पहले वाइरल तीन दिन का होता था, लेकिन अब इसकी मियाद बढ़ कर सात दिन तक हो गयी है. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा कीटाणुओं के मजबूत होने और हमारी प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण हुआ है. अगर हम नहीं चेते, तो आनेवाले सालों में इसके और गंभीर परिणाम सामने आयेंगे. अगले कुछ दशकों में वाइरल का समय 15 दिन तक बढ़ सकता है? मानव के स्वास्थ्य पर काम करनेवाले विशेषज्ञों के सामने ये बड़ी चुनौती के रूप में सामने है.
अब सर्दी, जुकाम व बुखार का मतलब सप्ताह भर के लिए छुट्टी हो जाती है. डॉक्टरों का कहना है कि अब भी तीन व पांच दिन का वाइरल होता है, लेकिन ये कम ही लोगों में देखने को मिलता है, ज्यादातर लोगों को सात दिन तक झेलना पड़ता है. पहले वाइरल होने पर लोग डॉक्टर के पास कम ही जाते थे, क्योंकि बुखार अगले 48 घंटे के बाद खुद-ब-खुदउतर जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होता है. बुखार का समय बढ़ गया है.
बैक्टीरिया का आक्रमण
डॉक्टरों का कहना है कि पहले वायरस फ्लू होता है. फिर दो-तीन दिन में इसका रूप बदल जाता है. शरीर कमजोर होने के साथ ही बैक्टीरिया शरीर पर आक्रमण कर देता है. वायरल का रूप बदल जाने से मरीज को ठीक होने में काफी समय लगता है. सप्ताह भर में बुखार नहीं उतरता, तो फिर मरीजों की कई तरह की जांच करानी पड़ती है. इससे पता चलता है कि बैक्टीरिया के कारण बुखार हो रहा है. इसकी पहचान के बाद मरीज का इलाज शुरू होता है.
गंदगी व जलवायु से वायरस का प्रसार
विशेषज्ञों का मानना है कि जिले की गंदगी व जलवायु भी वायरस के प्रसार का बड़ा कारण है. इसका प्रसार ज्यादा होने से लोग अधिक बीमार हो रहे हैं. साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देना व प्रदूषण युक्त आबोहवा में सांस लेना भी बीमार होने का बड़ा कारण है. डॉक्टरों का कहना है कि सबसे जरूरी चीज हमारा इम्युन सिस्टम है. जिसका यह सिस्टम मजबूत होता है, उस पर वायरस का आक्रमण जल्दी नहीं होता. कमजोर व कुपोषित लोगों को वायरस जल्दी अपना शिकार बनाता है.
एंटीबायोटिक्स का भी असर
जरूरत से अधिक एंटीबायोटिक्स भी हमारे इम्युन सिस्टम को कमजोर कर रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि साधारण मर्ज में भी कम जानकार डॉक्टर मरीजों को एंटीबायोटिक्स लिख देते हैं. लगातार एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल से शरीर कमजोर पड़ जाता है. फिर वायरस जनित बीमारी हो या बैक्टीरियल, मरीजों को जल्दी ठीक नहीं होने देता. ऐसे भी वायरल फीवर में एंटीबायोटिक्स का कोई रोल नहीं है. इसके गलत इस्तेमाल से हमारा इम्युन सिस्टम कमजोर होता है.
60 साल पहले कहा था, कीटाणु जीत चुके हैं लड़ाई
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ निशींद्र किंजल्क बताते हैं कि कीटाणुओं के मजबूत होने का परिणाम अब सामने आ रहा है, लेकिन इसके बारे में अमेरिका के तत्कालीन सर्जन जनरल ने कहा था कि मानव व कीटाणुओं की लड़ाई में, हमें लगता है कि कीटाणु जीत गये हैं. डॉ किंजल्क कहते हैं कि वाइरस का रूप बदल रहा है, जब तक एक वाइरस की दवा खोजी जाती है, तब तक उसका स्वरूप बदल जाता है. उन्होंने कहा कि अभी बड़ी परेशानी यही है. इसका हल खोजना होगा.
सही हुई एलेक्जेंडर की भविष्यवाणी?
पेंसिलीन का अविष्कार करनेवाले एलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने दशकों पहले भविष्यवाणी की थी, जो सच साबित हुई. उन्होंने कहा था कि पेंसिलीन काफी अच्छी दवा है, लेकिन मुझे लगता है कि इसका दुरुपयोग आनेवाले समय में इसके प्रभाव को खत्म कर देगा. डॉ किंजल्क बताते हैं कि पेंसिलीन को वंडर ड्रग माना जाता था, लेकिन फ्लेंमिंग ने जो आशंका व्यक्त की थी, वो सच साबित हुई. पेंसिलीन का इतना ज्यादा उपयोग किया गया कि वो प्रभावहीन हो गयी है.
ये हैं वजहें
-अनियमित जीवन शैली.
-जरूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक्स का उपयोग.
-साफ-सफाई के प्रति ध्यान नहीं देना.
-कम सोना.
-केमिकलयुक्त खाद्य पदार्थों का उपयोग करना.
-मौसम में अचानक बदलाव.
समय बढ़ने की वजह
-वायरस की जेनेटिक संरचना बदलते रहना.
-शरीर की प्रतिरोधक शक्ति का कम होना.
-वायरल के बाद बैक्टीरियल आक्रमण होना.
जेनेटिक संरचना में बदलाव बड़ा कारण
समय के साथ वायरस के जेनेटिक संरचना में बदलाव हो रहा है. वायरस के रूप बदलने के कारण इस पर दवाओं का जल्दी असर नहीं होता. शरीर का इम्यून सिस्टम के लिए इसकी पहचान करना और इससे लड़ना मुश्किल होता है. यही वजह है कि बार-बार इन्फ्लूएंजा होने का खतरा बना रहता है. दूसरा कारण लोगों की प्रतिरोधक क्षमता में लगातार कमी होना है. शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होने से वायरस जल्दी लोगों को शिकार बना लेता है.
दस वर्ष पूर्व हमारे यहां वायरस फ्लू से पीड़ित बच्चे को ठीक होने में तीन-चार दिन लगते थे. अब वायरस जनित बुखार होने पर भी उसे ठीक होने में सप्ताह भर समय लग रहा है. बच्चा कमजोर हुआ, तो बैक्टीरिया इंफेक्शन का भी शिकार हो जाता है. ज्यादा एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल भी शरीर को कमजोर करता है.
डॉ राजीव कुमार, विभागाध्यक्ष, शिशु रोग विभाग, केजरीवाल अस्पताल
वायरस दिनो-दिन मजबूत होता जा रहा है. इसका कारण उसकी जेनेटिक संरचना में बदलाव है, जबकि दूसरी तरफ हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होता जा रहा है. एक बार जब वायरस आक्रमण करता है, तो हमारा इम्युन सिस्टम उसे समझ कर समाप्त कर देता है.
डॉ एके दास, फिजिशियन
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