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प्रकृति का ऐसी विनाशलीला कभी नहीं देखी

प्रकृति का ऐसी विनाशलीला कभी नहीं देखीचेन्नई जलजले की आपबीती- चेन्नई से लौटकर बुधवार को पत्नी के साथ शहर पहुंचे भुनेश्वर सिंह- कहा, सेना के जवान भगवान हैं संवाददाता, मुजफ्फरपुर चेन्नई की बारिश का जिक्र करते ही भुनेश्वर सिंह की आंखें ठहर सी जाती हैं. 50 बसंत पार कर चुके भुनेश्वर ने बारिश व प्रकृति […]

प्रकृति का ऐसी विनाशलीला कभी नहीं देखीचेन्नई जलजले की आपबीती- चेन्नई से लौटकर बुधवार को पत्नी के साथ शहर पहुंचे भुनेश्वर सिंह- कहा, सेना के जवान भगवान हैं संवाददाता, मुजफ्फरपुर चेन्नई की बारिश का जिक्र करते ही भुनेश्वर सिंह की आंखें ठहर सी जाती हैं. 50 बसंत पार कर चुके भुनेश्वर ने बारिश व प्रकृति का एेसा कहर पहले कभी नहीं देखा था. आइटी के इस शहर में उन्हें हर तरफ केवल पानी ही पानी दिखाई दे रहा था. उन्हें यह पता नहीं था कि इस प्राकृतिक आपदा में उनका पूरा कुनबा फंस जायेगा. शहर के रहने वाले भुनेश्वर अपनी पत्नी उषा सिंह के साथ 17 नवंबर को दरभंगा से बागमती एक्सप्रेस से चेन्नई अपने बेटे रितु राय के पास गये थे. चेन्नई के शंकर नेत्रालय में खुद की व पत्नी की आंख दिखानी थी. वे चेन्नई अपने बेटे के घर पहुंचे. इस बीच बारिश की विनाशलीला ने पूरे चेन्नई में जमकर कहर बरपाना शुरू कर दिया. जहां वह रहते थे, उसका फर्स्ट फ्लोर पूरी तरह पानी में डूब चुका था. अब उनके बेटे रितु को यह समझ नहीं आ रहा था कि मां व बाबूजी को शंकर नेत्रालय में दिखाया कैसे जाये. पानी में घुसकर जाना मजबूरी बन चुकी थी. किसी तरह हिम्मत बांधते हुए घर से निकले और मां-पिता के आंखों का चेकअप कराया. इस बीच आसमान की आफत ने जब थोड़ा रहम दिखाया, तो पूरे परिवार ने रामेश्वरम व पांडुेचरी की ओर रुख कर दिया. इसके बाद किसी तरह वह वापस चेन्नई आ गये, लेकिन इस बीच 25 नवंबर से लेकर 30 नवंबर के बीच बारिश ने अपना कहर बरपाना शुरू किया और पूरा चेन्नई जलमग्न हो गया. भुनेश्वर सिंह बताते हैं कि मेरे बेटे का फ्लैट ऊपर था, इसलिए थोड़ी तसल्ली थी, लेकिन खाने-पीने के सामान के लिए बेटे को पानी से घुसकर आना-जाना पड़ता था. ऊपर से चेन्नई प्रशासन ने अलर्ट जारी कर रखा था. बताते हैं कि भारतीय सेना के जवान भगवान हैं, अगर वे न होते तो न जाने कितनी जानें चली जातीं. जिन फ्लैटों में पानी भर गया था, वहां घुसकर जवानों ने सबको निकाला और पूरी सहायता की. तीन दिसंबर को ट्रेन का रिजर्वेशन था, लेकिन रेलवे ने सभी टिकट कैंसिल कर दिये थे. तीन दिसंबर के बाद से प्रकृति ने थोड़ी रहम दिखाई और बारिश कम हुई तो बेटे ने किसी तरह बेंगलुरु पहुंचाया. वहां से छह दिसंबर को यशवंतपुरम एक्सप्रेस से कोलकाता पहुंचे और फिर वहां से मिथिला एक्सप्रेस से बुधवार की सुबह मुजफ्फरपुर पहुंचे. बताते हैं कि बेटे से फोन पर लगातार बात हो रही है. इस वक्त भगवान ने थोड़ी रहम कर दी है. बारिश पूरी तरह बंद तो नहीं हुई है, हल्की बूंदाबादी हो रही है. इससे थोड़ी राहत मिली है.

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