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गुड़िया का नहीं हो सका अल्ट्रासाउंड

मुजफ्फरपुर: गुड़िया द्वारा सीडब्लूसी के समक्ष दिये गये बयान के बाद उसे चाइल्ड लाइन के केंद्र समन्वयक उदय शंकर शर्मा के साथ मेडिकल जांच के लिए सदर अस्पताल लाया गया. वहां केवल उसका एक्स-रे ही हो सका. अल्ट्रासाउंड के लिए मेडिकल रेफर किया गया. हद तो तब हो गई जब गुड़िया का केवल एक्स-रे कराने […]

मुजफ्फरपुर: गुड़िया द्वारा सीडब्लूसी के समक्ष दिये गये बयान के बाद उसे चाइल्ड लाइन के केंद्र समन्वयक उदय शंकर शर्मा के साथ मेडिकल जांच के लिए सदर अस्पताल लाया गया. वहां केवल उसका एक्स-रे ही हो सका. अल्ट्रासाउंड के लिए मेडिकल रेफर किया गया. हद तो तब हो गई जब गुड़िया का केवल एक्स-रे कराने में करीब तीन घंटे का समय लगा. गुड़िया का अल्ट्रासाउंड शुक्रवार को एसकेएमसीएच में कराया जायेगा.

चाइल्ड लाइन के केंद्र समन्वयक उदय शंकर शर्मा ने सीडब्लूसी से कहा कि उन्हें अविलंब एक महिला कांस्टेबल उपलब्ध कराया जाये. इनका कहना था कि मामला अब बहुत ही गंभीर हो चुका है. ऐसे में गुड़िया को 24 घंटे सुरक्षा के लिए एक महिला कांस्टेबल की जरूरत है.

घटना में पूर्ण दोषी है रक्षा गृह की ममता: राज्य
महिला आयोग बिहार राज्य महिला आयोग की टीम की सदस्य मंजू कुमारी उर्फ गुड्डी देवी व उप सचिव गीता सिंह ने गुड़िया की इस हालत के लिए पूर्ण रूप से उत्तर रक्षा गृह की कार्यालय लिपिक (वार्डन के रूप में कार्यरत) ममता देवी को जिम्मेदार ठहराया. साथ ही रक्षा गृह में तैनात कर्मी सुमन देवी की इसमें संलिप्तता है. गुड़िया ने टीम को बताया कि वह जीरोमाइल निवासी इंद्रजीत के घर पर एक माह तक रही थी. रक्षा गृह से इसे वहां भेजने में ममता का पूरा हाथ था. इतना ही नहीं गुड़िया को इंद्रजीत के साथ खुलेआम शहर में घूमने की अनुमति देती थी. गुड़िया ने बताया कि इंद्रजीत जीरोमाइल से ममता के पास आता था और वह हमेशा कुछ ना कुछ लाता था. गुड़िया उस घर में एक माह तक रही थी. एक माह के बाद उसे शादी का प्रलोभन देकर वापस रक्षा गृह में भेज दिया गया. इतना ही नहीं गुड़िया ने बताया कि वहां रह रही एक दूसरी लड़की को ममता ने उकसाया कि वह गुड़िया को लेकर भाग जाये. इतना सब कुछ होता रहा फिर भी समाज कल्याण पदाधिकारी कुछ नहीं कर रहे थे. आयोग उनके खिलाफ भी कार्रवाई की अनुशंसा करेगी.

रक्षा गृह में लड़कियों को प्रताड़ित किया जाता है : महिला आयोग की सदस्य गुड़िया की जांच करने के लिए सर्वप्रथम गोबरसही स्थित उत्तर रक्षा गृह में पहुंची. आयोग की टीम ने जब वहां रह रही लड़कियों से बात की तो इनके होश उड़ गये.

आयोग की सदस्य मंजू कुमारी ने बताया कि लड़कियों को यहां से बाहर भेजा जाता था. बाहर नहीं जाने पर उन्हें मारा-पिटा जाता था. इतना ही नहीं कई दिनों तक भूखे-प्यासे रखा जाता था. फिलहाल वहां 10-12 लड़कियां रह रही है और सभी सहमी हुई हैं. हमें काफी मशक्कत के बाद कुछ लड़कियों ने रक्षा गृह में हो रहे व्यवहार के बारे में बताया, जिसमें लड़कियों ने रक्षा प्रहरी लक्ष्मी देवी पर लड़कियों को भगाने आरोप लगाया. रक्षा गृह की स्थिति बहुत ही खराब है. इसके लिए सामाजिक सुरक्षा कोषांग व कल्याण विभाग के पदाधिकारी दोषी हैं. आयोग ने सीडब्लूसी की कार्रवाई पर भी सवाल उठाया है.

प्रशासन से नहीं मिला सहयोग : बिहार राज्य महिला आयोग के सदस्यों ने कहा कि आयोग ने जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन को टीम के आने की सूचना भेजी थी लेकिन शाम तक किसी का सहयोग नहीं मिला. एसएसपी से मिलने के लिए उनके कार्यालय में टीम का इंतजार करना पड़ा. एसएसपी के पहुंचते ही टीम के सदस्यों ने एसएसपी से शिकायत की. टीम ने कहा कि आने की सूचना पहले भेजी जा चुकी थी लेकिन शाम तक पुलिस पदाधिकारियों ने उनलोगों से संपर्क नहीं किया. प्रशासन के इस रवैये की शिकायत आयोग में की जायेगी.

बाद में आयोग की सदस्य मंजू सिंह ने बताया कि उनलोगों के आने का फैक्स तकनीकी कारण से नहीं पहुंच पाया था. एसएसपी ने पूरे मामले में पूर्ण सहयोग करने की बात कही है.

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