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जीवन को सहज बनाने के लिए मन को रखे स्वस्थ

जीवन को सहज बनाने के लिए मन को रखे स्वस्थमुंबई से आयी राजयेाग प्रशिक्षिका ने बताये स्वस्स्थ जीवन के सरल सूत्रकहा, असफलता व भविष्य की चिंता से लोग हो रहे तनाव ग्रस्तवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर आज के भाग दाैड़ की जिंदगी में सहज रहना मुश्किल कार्य है. यह तभी हो सकता है जब हम अपने मन […]

जीवन को सहज बनाने के लिए मन को रखे स्वस्थमुंबई से आयी राजयेाग प्रशिक्षिका ने बताये स्वस्स्थ जीवन के सरल सूत्रकहा, असफलता व भविष्य की चिंता से लोग हो रहे तनाव ग्रस्तवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर आज के भाग दाैड़ की जिंदगी में सहज रहना मुश्किल कार्य है. यह तभी हो सकता है जब हम अपने मन को नियंत्रण में कर ले. इसके लिए मेडिटेशन जरूरी है. आजकल लोग शरीर को स्वस्थ रखने के तो बहुत उपाय करते हैं, लेकिन मन को स्वस्थ रखने में अपना समय नहीं देते. नतीजा व्यक्ति समस्याओं में उलझ कर तनाव का शिकार हो जाता है. मेडिकल साइंस में इसका इलाज नहीं है. इसके लिए खुद को संयमित करना जरूरी है. मन को स्वस्थ रखने के लिए मेडिटेशन की कई विधियां बतायी जाती है. इसकी जटिल प्रक्रिया व अत्यधिक समय लगने के कारण लोग इससे भागते हैं. प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की राजयोग प्रशिक्षिका दीपा बहन इसके लिए आसान रास्ता बताती हैं. मुंबई से मुजफ्फरपुर प्रवास पर आयी राजयोग शिक्षिका ने इस बाबत प्रभात खबर से विस्तृत बात की. उन्होंने कई सवालों का आसान जवाब दिया. यहां हम उनकी बातों को उन्हीें के शब्दों में रख रहे हैं.लोगों की कॉमन समस्या पर दीपा बहन ने कहा कि हमारे पास आने वाले अधिकतर लोग तनाव से ग्रसित होते हैं. इसके पीछे पुरानी बातें, असफलता व भविष्य की चिंता होती है. वे सोच-सोच कर तनाव ग्रस्त रहते हैं. वे वर्तमान में कम अतीत व भविष्य में अधिक जीते हैं. ऐसे लोगों को सबसे पहले शांत होने का प्रयास करना चाहिए. दूसरों की कमियों के बजाये उसमें अच्छाई को देखना चाहिए. माता-पिता, पति-पत्नी व बच्चों की खामियों को नहीं देख कर उनकी अच्छाइयों को सोचे. सबके प्रति शुभ भाव लाये. सबके साथ मधुर व्यवहार बनाने की कोशिश करें. इससे उनके अंदर की नकारात्मक एनर्जी घटेगी. जब सकारात्मक सोच पैदा होगी, तो समस्याओं को सुलझाने की बेहतर सोच भी पैदा होगी.तनाव में आने पर आदमी को क्या करना चाहिए. इस सवाल पर दीपा बहन ने कहा कि जैसे ही आप तनाव में आये परमात्मा के बारे में सोचे. हमारे पास क्या नहीं है, इस पर सोचना बंद करें. हमारे पास क्या है, इस पर सोचे. जो संसाधन है, उससे बेहतर कैसे कर सकते हैं. इस पर विचार करें. इससे चिंतन की दिशा सकारात्मक होगी. सकारात्मक चिंतन से समस्याओं के दूर होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिंतन से समस्याओं का निदान तो निकलता ही है. हमारे अंदर झेलने की शक्ति भी आती है. मन पर जब नियंत्रण होता है, तो समस्याएं खेल की तरह लगती है. ठीक वैसे ही जैसे कोई गोलकीपर के पास बॉल आया हो व उसने बॉल को पकड़ कर उछाल दिया हो. एक खेल की तरह. दरअसल सकारात्मक चिंतन परमात्मा से जुड़ाव है. फिर मनुष्य कुछ नहीं करता, सब परमात्मा करते हैं.नकारात्मक से सकारात्मक होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके लिए व्यक्ति को कुछ समय निकालना होगा. यह सात दिनों का अभ्यास है. ब्रह्माकुमारी के सेंटरों पर नि:शुल्क दिया जाता है.

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