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कहीं फर्जी शक्षिक माफिया, तो नहीं कर रहे जांच प्रभावित!

कहीं फर्जी शिक्षक माफिया, तो नहीं कर रहे जांच प्रभावित!- जिला शिक्षा पदाधिकारी ने लिखा विभाग को पत्र – विभागीय लिपिक व कई शिक्षकों की भूमिका भी बताया जा रहा संदिग्ध- चार दिन बाद भी नहीं हुआ मामले का खुलासासंवाददाता, मुजफ्फरपुरमीनापुर बीआरसी में अगलगी की घटना में चल रही जांच को तथा कथित शिक्षक माफिया […]

कहीं फर्जी शिक्षक माफिया, तो नहीं कर रहे जांच प्रभावित!- जिला शिक्षा पदाधिकारी ने लिखा विभाग को पत्र – विभागीय लिपिक व कई शिक्षकों की भूमिका भी बताया जा रहा संदिग्ध- चार दिन बाद भी नहीं हुआ मामले का खुलासासंवाददाता, मुजफ्फरपुरमीनापुर बीआरसी में अगलगी की घटना में चल रही जांच को तथा कथित शिक्षक माफिया प्रभावित करने में जुट गये हैं. इसकी वजह से जांच प्रभावित हो रही है. इस बात को खुद विभाग के आलाधिकारी स्वीकार भी कर रहे हैं. इस मामले में डीइओ ने विभाग के आलाधिकारी को पत्र भी लिखा है. डीइओ गणेश दत्त झा ने बताया कि जांच चल रही है, लेकिन विभागीय व तथाकथित शिक्षक जांच को प्रभावित करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपने आ रहे हैं. इसके लिए विभागीय अधिकारियों को पत्र भी भेजा गया है. सूत्रों की माने, तो इस घटना में कई बड़े अधिकारी व लिपिक की गर्दन फंसती नजर आ रही है. इसलिए अगलगी का सारा खेल खेला गया है. जब जांच शुरू हुई, तो उसे प्रभावित करने का सिलसिला शुरू हो गया है. उक्त घटना में शिक्षा विभाग व पुलिस अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. कार्तिक परणा के रोज छुट्टी के बावजूद बीआरसी के पांच ताले तोड़ संचिकाओं को आग के हवाले कर देना चौका देता है. इतना ही नहीं, बाहर का कागज पड़ा रह गया और आलमीरा का संचिका स्वाहा हो गया. आग लगाने वालों को कैसे पता चला कि महत्वपूर्ण दस्तावेज आलमीरा में ही है. ऐसे में अगर शक की सुई बीआरसी में प्रतिनियुक्त अधिकारी व कर्मचारियों पर है, तो इनका वैज्ञानिक जांच क्यों नहीं हुई‍? अगर शक के आधार पर ही ताला व कर्मचारियों का फिंगर प्रिंट लिया जाता, तो मामला का खुलासा संभव था. कैसे हो गयी बहाली कटिहार के वीर कुंवर सिंह शारीरिक शिक्षक प्रशिक्षण महा विद्यालय व केदार पांडेय शारीरिक व स्वास्थ्य प्रशिक्षण महाविद्यालय के सर्टिफिकेट पर बड़ी संख्या में फिजिकल शिक्षकों की बहाली हुई थी. किंतु बिहार विद्यालय शिक्षा समिति के लोक सूचना पदाधिकारी ने अलग-अलग पत्रांकों में कहा है कि वर्ष 1994 में उक्त संस्थानों में कोई परीक्षा नहीं हुई थी. साथ ही वर्णित रॉलकोड भी फर्जी है. इसके वावजूद शिक्षक बहाली का सिलसिला जारी रहा. आखिर ऐसे सर्टिफिकेट पर शिक्षक बहाली करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गयी. यह बड़ा सवाल है? मीनापुर में कई ऐसे शिक्षक भी हैं, जो टीइटी की परीक्षा फेल हो गये. इस पर शिक्षक मोटी रकम देकर बहाल हो गये. अब मूल प्रमाणपत्र व एडमीट कार्ड के लिए विजलेंस ने आंखे तरेरी है, तो घटना सबके सामने है. बीआरसी में सूचना के अधिकार के तहत रखी गयी संचिका भी जल गयी. क्योंकि इसमें भी लोगों ने बहाली से संबंधित जानकारी मांगी थी. निगरानी जांच से संबंधित संचिका जल जाना चौंका देता है. अब देखना है कि साजिश में शामिल लोगों का चेहरा कैसे बेनकाब होता है?

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