मुजफ्फरपुर: महागंठबंधन की जीत के बाद नीतीश कुमार का सूबे का मुख्यमंत्री बनना भले ही तय हो गया है, लेकिन जिले में उनकी पार्टी का काफी बुरा प्रदर्शन रहा. यहां की कुल ग्यारह सीटों में से तीन पर पार्टी ने अपना प्रत्याशी उतारा था. इसमें बोचहां से प्रत्याशी रमई राम व कुढ़नी से प्रत्याशी मनोज कुमार सिंह राज्य सरकार के मंत्री थे.
वहीं पार्टी के तीसरे उम्मीदवार मुजफ्फरपुर से विजेंद्र चौधरी थे. इन तीनों को हार सामना करना पड़ा. रमई राम को निर्दलीय प्रत्याशी बेबी कुमारी ने 23,897 मतों से, मनोज कुमार सिंह को भाजपा के केदार गुप्ता ने 11,657 मतों से व विजेंद्र चौधरी को भाजपा के सुरेश शर्मा ने रिकॉर्ड 29,436 मतों से पराजित किया.
वहीं जदयू के सहयोगी राजद ने जिला की आठ सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा. इसमें से उसे पांच सीटों, औराई, साहेबगंज, गायघाट, सकरा व मीनापुर, पर जीत मिली. भाजपा को जिला की तीन सीटों, मुजफ्फरपुर, कुढ़नी व पारू पर जीत मिली. जिले में दो निर्दलीय प्रत्याशी भी जीतें. इसमें कांटी से अशोक चौधरी व बोचहां से बेबी कुमारी शामिल है.
विधायकों के खिलाफ दिखी इनकंबेंसी
विधानसभा चुनाव के रिजल्ट को आधार मानें तो जिले की जनता स्थानीय विधायकों के कार्य से खुश नहीं दिखे. यही कारण है कि ग्यारह में से महज दो विधायक ही अपनी सीट बचा सके. ये दोनों विधायक भाजपा से हैं. मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट पर जहां सुरेश शर्मा ने अपना परचम लहराया. वहीं पारू में अशोक सिंह अपनी सीट बचाने में सफल रहे.
लेकिन भाजपा के दो विधायक, औराई से रामसूरत राय व गायघाट से वीणा देवी इसमें असफल रही. पिछले विधानसभा चुनाव में राजद के इकलौते विधायक बृज किशोर सिंह ने इस बार भाजपा दामन थाम कर अपने पुत्र अरुण कुमार सिंह को मैदान में उतारा. लेकिन जनता ने उन्हें भी नकार दिया. कुछ ऐसा ही हाल जदयू के मीनापुर से विधायक रहे दिनेश कुशवाहा के साथ हुआ. उनके पुत्र अजय कुमार इस बार भाजपा से प्रत्याशी थे, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. जदयू के दो मंत्री बोचहां से रमई राम व कुढ़नी से मनोज कुमार सिंह को भी जनता ने सिरे से नकार दिया. सकरा से विधायक रहे सुरेश चंचल इस बार मैदान में नहीं थे. हालांकि चुनाव से पूर्व उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था. पार्टी ने यहां से अर्जुन राम को उम्मीदवार बनाया. उन्हें भी हार मिली. साहेबगंज से जदयू से विधायक रहे राजू कुमार सिंह इस बार भाजपा की टिकट लेकर मैदान में थे. लेकिन वह भी अपनी सीट नहीं बचा सके.