केबीसी में औराई के लाल का कमाल

मुजफ्फरपुर: औराई के लाल निखिल राज ने केबीसी में कमाल किया है. उसने नौ प्रश्नों के सही जवाब देकर 12.50 लाख रुपये जीते हैं. 25 लाख के दसवें प्रश्न का उत्तर निखिल को नहीं आता था, इसलिए उन्होंने खेल छोड़ दिया. प्रश्न था, जिस दिन देश को आजादी मिली राष्ट्रपिता महत्मा गांधी किस शहर में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 2, 2013 11:07 AM

मुजफ्फरपुर: औराई के लाल निखिल राज ने केबीसी में कमाल किया है. उसने नौ प्रश्नों के सही जवाब देकर 12.50 लाख रुपये जीते हैं. 25 लाख के दसवें प्रश्न का उत्तर निखिल को नहीं आता था, इसलिए उन्होंने खेल छोड़ दिया.

प्रश्न था, जिस दिन देश को आजादी मिली राष्ट्रपिता महत्मा गांधी किस शहर में थे? इस सवाल के जवाब में निखिल उलझ गया. इस पर शो होस्ट कर रहे सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी निखिल से कहा, अब आपकी कोई लाइफ लाइन नहीं है. आप संभल कर खेलियेगा, जिस प्रश्न का सही उत्तर आता हो, तभी खेलें, नहीं तो आप गेम छोड़ भी सकते हैं. निखिल ने ऐसा ही किया. उसने चंद सेकेंड में ही खेल छोड़ने का फैसला कर लिया.

आत्मविश्वास से खेला
निखिल ने खेल के दौरान जो आत्मविश्वास दिखाया. अमिताभ बच्चन भी उसके कायल दिखे. वह बार-बार मुजफ्फरपुर का नाम ले रहे थे. निखिल ने जब 12.50 लाख जीत लिये तो अमिताभ ने उससे पूछा, अब आपका कुछ संतोष हो रहा होगा. इस पर निखिल ने कहा, जी, संतोष हो रहा है. निखिल औराई के भरतुआ गांव का रहनेवाला है, जिसकी गिनती पिछड़े क्षेत्रों में होती है. वह काफी दिनों से केबीसी में जाने के लिए ट्राइ कर रहा था. लगातार फोन करता था और इसके बारे में आसपास के लोगों को बताता था, जब केबीसी से फोन नहीं आता था तो लोग उसका मजाक भी उड़ाते थे, लेकिन किस्मत ने निखिल का साथ दिया. उसके पास केबीसी से फोन भी आया और वह हॉट सीट पर अमिताभ बच्चन के सामने भी पहुंचा. उसने अपनी प्रतिभा का परिचय भी अमिताभ के सामने दिया. आशिकी-टू फिल्म का गाना भी गया.

पापा को दे दूंगा सब पैसे
अपने पिता के प्रति समर्पित निखिल से जब बिग बी ने पूछा, ये पैसा आप सिर्फ पापा अजीत कुमार शर्मा के लिए ही कमा रहे हैं, या अपने लिए भी, तो उन्होंने पलक झपकाये बिना कहा, सब उन्हीं के लिए. अपने पापा के बारे में कहा कि वे अपने लाइफ से काफी कुछ डिजर्व करते थे, लेकिन तंगहाली के कारण कुछ विशेष नहीं कर पाये. बावजूद, उन्हें अच्छी शिक्षा-दीक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. निखिल ने बताया कि उसके पिता अपने क्लास के टॉपर थे, लेकिन तंगहाली के कारण वे मैट्रिक तक ही पढ़ाई कर सके. शुरू में उनके पिता भी बच्चों को टय़ूशन देते थे. इधर, हाल में उनके पिता की तबीयत काफी खराब हो गयी थी, लेकिन दवा के नियमित सेवन से अब उनका स्वास्थ्य सुधर रहा है.

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