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घाट बेचने की तैयारी

मुजफ्फरपुर: अखाड़ा घाट में पक्का घाट निर्माण होने के कारण जगह की कमी को देखते हुए अभी से छठ के लिए घाट की सौदेबाजी होने लगी है. किस घाट पर किसका कब्जा होगा, इसे तय किया जाने लगा है. स्थिति को देखते हुए स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बार छठ पूजा में घाट […]

मुजफ्फरपुर: अखाड़ा घाट में पक्का घाट निर्माण होने के कारण जगह की कमी को देखते हुए अभी से छठ के लिए घाट की सौदेबाजी होने लगी है. किस घाट पर किसका कब्जा होगा, इसे तय किया जाने लगा है.

स्थिति को देखते हुए स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बार छठ पूजा में घाट के लिए मारा-मारी होना तय है. अखाड़ा घाट पुल के पश्चिम में सीढ़ी निर्माण होने से काफी कम जगह बची है. इसके कारण पुल के पूरब साइड पर दबाव अधिक रहेगा. अखाड़ा घाट के मुख्य स्थान पर जगह नहीं होने के कारण इस बार नदी के दोनों तरफ घाट का सौदा होने की बात कही जा रही है.

बता दें कि सिकंदरपुर से लेकर लकड़ी ढाही तक घाट पर कब्जा करने का खेल कमोबेश हर साल होता है. नदी किनारे बस्ती में रहने वाले लोग पूजा से 15 दिन पहले ही खूंटा गाड़ कर घाट को कब्जे में ले लेते हैं. इसके बाद लोग साफ-सफाई कर मनमाने ढंग से घाट का सौदा करते हैं. फिट के हिसाब से घाट की बिक्री होती है. एक डाला रखने के लिए पांच सौ से एक हजार तक की वसूली होती है. नदी से सटे घाट की कीमत अधिक होती है. नदी से दूर डासला रखने वालों को कम पैसा देना होता है. जो लोग घाट नहीं खरीद पाते हैं, उन्हें दूसरे का सहारा लेना पड़ता है. या घर पर ही पूजा की व्यवस्था करनी पड़ती है.

2010 में हुई थी कार्रवाई : छठ घाट बेचने वालों पर 2010 में सख्त कार्रवाई हुई थी. उस समय तत्कालीन डीएम आनंद किशोर ने घाट बेचने वालों पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था. छठ के दो दिन पहले घाट पर छापेमारी की गयी थी. इस दौरान दो लोगों को पकड़ा भी गया था. इसके बाद पूजा तक घाट पर मजिस्ट्रेट व पुलिस बल की तैनाती कर दी गयी थी.

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