मुजफ्फरपुर: फिर सोमवार को शहर महाजाम से कराहा. हालांकि इसकी आवाज प्रशासनिक अधिकारियों को काफी देर से सुनायी दी, तब तक सात घंटे बीत चुके थे. पूरे शहर में लोग जाम से परेशान थे, लेकिन सुनने को कोई तैयार नहीं था.
सुबह नौ बजे से पहले ही गोबरसही के पास एनएच पर जाम लग गया था, जो बैरिया तक था. कुछ ही देर में शहर के अंदर भी महत्वपूर्ण सड़कें जाम की चपेट में आ गयी, जहां लोग चंद मिनटों में पहुंचते थे. वहां पहुंचने में घंटों का समय लगने लगा. लगभग दस घंटे तक शहर पूरी तरह से जाम की जद में था. महाजाम की वजह से हालत
यह बनी कई स्कूल संचालकों ने मैसेज भेज कर अभिभावकों को स्कूल बस घर तक भेजने में असमर्थता जता दी. इसके बाद भी पुलिस सक्रिय नहीं हुई. कई लोगों ने एसएसपी सौरभ कुमार व अन्य अधिकारियों को सूचना दी. फिर भी कोई पहल नहीं की गयी. घर से ऑफिस के लिए निकले लोग महाजाम का शिकार हुये. जाम की ऐसी स्थिति थी, पैदल भी चलना मुश्किल था.
जाम में फंसे लोग लचर यातायात व्यवस्था को कोस रहे थे. दस घंटे तक शहर जाम में पिसता रहा. इसकी जानकारी होने के बाद भी शाम चार बजे एसएसपी सौरभ कुमार सक्रिय हुए. उन्होंने वायरलेस पर सभी थानाध्यक्षों को सड़क पर उतर कर जाम हटाने का निर्देश दिया. साथ ही थानाध्यक्ष को अपना लोकेशन भी बताने को कहा. स्थिति भयावह हो चुकी थी. मुख्य सड़कों से परेशान लोगों ने शॉर्टकट रास्ता अपनाया. इस वजह से गलियों में भी जाम लग गया. कई गलियों में ऑटो सवार रास्ता जाम किये हुये थे. थानाध्यक्षों के निकलने के बाद भी शाम छह बजे तक पूरा शहर जाम की जद में था. देर शाम सड़क पर कई वाहनों के बेतरतीब खड़ा करने पर जुर्माना भी वसूला गया.
स्कूल नहीं गये बच्चे
सुमेरा के रहने वाले नीतेंद्र कुमार एनजीओ में कार्यरत हैं. उनका पांच साल का बेटा वैभव गोबरसही चौक स्थित दिल्ली सेंट्रल स्कूल में प्रेप वन में पढ़ता है. सुबह नौ बजे उसे लेने स्कूल की वैन घर पर आती है. सुबह वह घर के पास इंतजार में खड़ा था, तभी उसके पापा के मोबाइल पर स्कूल से मैसेज आया कि गोबरसही में जाम के कारण वैन नहीं आ सकती. वैभव को अपने घर लौटने के सिवाय कोई चारा नहीं था. ऐसा केवल वैभव के साथ नहीं हुआ. कई बच्चे जाम के कारण घर ही रह गये.
मंत्री भी फंसे जाम में
कलमबाग चौक के पास जाम की चपेट में शिक्षा मंत्री पीके शाही भी फंस गये. वे पटना से गन्नीपुर स्थित कृष्ण जुबली कॉलेज में आयोजित श्री कृष्ण सिंह जयंती समारोह में भाग लेने जा रहे थे. उनका काफिला रामदयालु नगर से शहर में पहुंचा. इसी दौरान अघोरिया बाजार से कलमबाग चौक तक लगे जाम में उनकी गाड़ी फंस गयी. बाद में पुलिस ने उनके काफिले को जाम से बाहर निकाला.
एंबुलेंस भी फंसी
महाजाम में सब लोगों के साथ मरीजों को बेहतर इलाज के लिए पटना ले जा रही एंबुलेंस भी फंसी. घंटों मरीज जाम में फंसे रहे. इस दौरान उनके परिजन भगवान से प्रार्थना कर रहे थे. कैसे जाम से निकले और जल्दी से अस्पताल पहुंचे.
मालूम नहीं,यहां सब काम सड़क पर होते हैं
कुणाल,शाम 5:00 बजे का समय. मुजफ्फरपुर की हृदयस्थली माने जाने वाली कल्याणी चौक के चारों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लगी हैं. हालात ये, पैदल चलना भी मुश्किल. काफी मशक्कत के बाद जैसे ही बाइक कल्याणी चौक पहुंची, सहसा विश्वास ही नहीं हुआ. ठीक गोलंबर के पास भाजपा का कुर्सी-टेबुल लगा कर ‘युवा जोड़ों अभियान’ चल रहा था. मौके पर मौजूद नेता जी बारी-बारी से भाषण देने में जुटे थे. पास में ही तीन-चार पुलिस कर्मी खड़े थे, लेकिन इन्हें ट्रैफिक से कोई मतलब नहीं था. इधर से गुजरने वाले लोगों का बुरा हाल था. कोई बाइक की सीट से उचक कर आगे रास्ता देख रहा था तो कोई ‘शॉर्ट कट’ रास्ते की तलाश में था. इसी बीच हरिसभा चौक की ओर से आ रहे बाइक सवार ने कहा, इन नेताओं को भी यहीं जगह मिली थी, तभी पास में खड़े दूसरे बाइक सवार ने कहा, मालूम नहीं बिहार में सारे काम सड़क पर ही होते हैं. पटना में कभी जाम नहीं देखा क्या?
हर सोमवार बिगड़ती है स्थिति, क्यों नहीं लेते सबक?
शहर में अक्सर सोमवार को महाजाम लगता है. इसी को देखते हुये ट्रैफिक प्लॉन पर बात हुई. कई बार अधिकारी इसको लेकर घंटों माथापच्ची कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस हल नहीं निकला है, न ही ट्रैपिक प्लान को लागू किया जा सका है. इससे अलग सवाल ये है, जब अधिकारियों को इस बात की जानकारी है सोमवार को जाम लगता है तो इससे निपटने की तैयारी पहले से क्यों नहीं की जाती? क्या यह इंतजार किया जाता है, लोग जाम में फंसे, तब कुछ किया जायेगा?