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ससुर के ताने भी नहीं रोक पाये संगीता के कदम

मुजफ्फरपुर : रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो अगर इरादे बुलंद हों, तो मंजिल जरूर मिलती है. पारू के बंदे गांव की रहने वाली संगीता देवी भी इनमें से एक है. महिला किसानों के लिए मिसाल बनी संगीता के कदम ससुर के ताने भी नहीं रोक पाये. एक साल में नौ हजार पॉपलर पौधों […]

मुजफ्फरपुर : रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो अगर इरादे बुलंद हों, तो मंजिल जरूर मिलती है. पारू के बंदे गांव की रहने वाली संगीता देवी भी इनमें से एक है. महिला किसानों के लिए मिसाल बनी संगीता के कदम ससुर के ताने भी नहीं रोक पाये. एक साल में नौ हजार पॉपलर पौधों की नर्सरी तैयार कर दी.

खुद की जमीन कम पड़ गयी तो लीज पर जमीन लेकर उसमें पौधे लगाये. भाई ने हौसला अफजाई कर आगे बढ़ने की सीख दी. अब सपना है कि विभाग ट्रेनिंग के लिए एक बार देहरादून भेज दे. इसके लिए उन्होंने खुद विभाग से बात की है. पारू प्रखंड की संगीता देवी किसानों के लिए मिसाल बन चुकी हैं. वैशाली जिले के चेहराकलां प्रखंड गांव की संगीता की शादी जब पारू के बंदे गांव निवासी नरेंद्र कुमार से हुई तो अपने आप को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए उन्होंने पॉपलर की खेती करने का प्लान बनाया. मायके में चार साल पहले इसकी खेती उनके भाई अखिलेश कुमार ने शुरू की थी. इसे देखने के बाद संगीता के मन में यह इच्छा जगी थी. संगीता ने बताया कि पहले तो ससुराल वालों ने इसका विरोध किया. खुद ससुर डॉॅ राजेंद्र सिंह पूसा कृषि विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि यह काम तुमसे नहीं होगा.

इस ताने को सुनने के बाद उन्होंने यह ठान लिया कि अब हर हाल में वह पॉपलर की खेती करेंगी. इसके बाद पति नरेंद्र ने सपोर्ट करना शुरू किया. इसके बाद पिछले साल उन्होंने खुद वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया था. कहा, शुरुआत की परेशानियों ने मेरे कदम रोक से दिये थे, लेकिन भाई के हौसले ने मेरे इरादे को और मजबूत कर दिया. भाई से फाॅर्म भरने से लेकर खेती के गुर भी सीखे. विभाग ने 12 हजार से पौधे दिये. इनमें करीब नौ हजार पौधे बचे.

इन पौधों की कीमत अब प्रति पौधे 15 रुपये हो गया है. कहा, जमीन कम पड़ गयी तो गांव में ही जमीन लीज पर ले ली. अब ससुराल के लोग भी पूरी तरह से साथ हैं. परिवार को आर्थिक रूप से मदद करने में मेरा भी सहयोग हो गया है. इससे बड़ी खुशी मेरे लिए कुछ भी नहीं हो सकती है. अब इच्छा है कि एक बार केवल देहरादून ट्रेनिंग करने को मिल जाये. वहां पर अत्याधुनिक तरीके से खेती के तरीके बताये जाते हैं.

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