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मधेशियों को अधिकार दिलाने को पहल करे भारत सरकार

मुजफ्फरपुर: नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव ने कहा कि नेपाल में मधेसी समाज का अस्तित्व खत्म करने की राजनीतिक साजिश चल रही है, जिसके चलते 49 दिनों से आंदोलन चल रहा है. नेपाल के शासक वार्ता के बदले गोली के बल पर हमारी आवाज को दबाना चाहते हैं. अब तक 50 से अधिक […]

मुजफ्फरपुर: नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव ने कहा कि नेपाल में मधेसी समाज का अस्तित्व खत्म करने की राजनीतिक साजिश चल रही है, जिसके चलते 49 दिनों से आंदोलन चल रहा है. नेपाल के शासक वार्ता के बदले गोली के बल पर हमारी आवाज को दबाना चाहते हैं. अब तक 50 से अधिक लोग गोली का शिकार होकर दम तोड़ चुके हैं.

आग्रह किया कि मधेशियों को उनके आबादी के हिसाब से अधिकार दिलाने के लिये भारत सरकार अपने कुटनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करे. कहा, इसके लिए केंद्र सरकार से कई स्रोतों के जरिये वार्ता चल रही है. मदद मिलने की उम्मीद है.

शुक्रवार को शहर के एक होटल में श्री यादव ने नेपाल में उपजे संकट पर पत्रकारों से बातचीत की. कहा कि नेपाल में वर्ष 2007 में भी मधेस जन विद्रोह हुआ था. तब मधेस आबादी की बहुलता वाले तराई क्षेत्र को अलग राज्य बनाने की मांग चल रही थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला ने मधेशी समाज की मांगों पर विचार करते हुए भाषाई मान्यता व ब्यूरोक्रेसी में हिस्सेदारी देने की मांग स्वीकार कर ली थी. अंतरिम संविधान में इसे शामिल कर लिया गया था तथा संविधान में दरजा देने की बात की गयी थी. नया संविधान बना तो उसमें शासन ने इनकार कर दिया. मेजॉरिटी के बल पर नये संविधान को जबरदस्ती लागू कर दिया गया, जिसमें मधेशी समाज को अल्पसंख्यक बनाने की साजिश की गयी है. श्री यादव का कहना था कि नेपाल दो समुदायों का संगम देश है. एक है मंगोलियन व दूसरे इंडो नेपाली. इंडो नेपाली को ही मधेसी कहा जाता है. इनका संबंध उत्तराखंड, यूपी, बिहार व बंगाल से जुड़ा हुआ है. रंग-ढंग व भाषा के साथ संस्कृति भी मिलती-जुलती है. कहा कि नेपाल के शासन वर्ग ने कभी हिंदीभाषियों को नेपाली नहीं माना. नये संविधान में भी कई टुकड़ों में बांटकर कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है. जो नये सिस्टम से सांसद चुनने की प्रक्रिया बनी है, उससे मधेशी क्षेत्र के आठ और गैर मधेसी क्षेत्र के 48 सदस्य हो जाएंगे. आबादी के हिसाब से अधिकार के लिए हम आवाज उठा रहे हैं. कहा कि आबादी में 50 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि ब्यूरोक्रेसी में महज दो फीसदी हिस्सा. इस मौके पर नेेपाल के संघीय समाजवादी फाेरम के अध्यक्ष प्रदीप यादव, प्रो अनिल सिंह, अखिलेश सिंह व अजय जी भी थे.

मैथिली, भोजपुरी व हिंदीभाषियों का दमन
पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव ने कहा कि नेपाल में मैथिली, भोजपुरी व हिंदीभाषियों का दमन हो रहा है. आंदोलन कर रहे लोगों को सेना ने गोली मारकर आवाज दबाने का प्रयास किया है. मानवाधिकार की जांच में यह बात सामने आयी है कि आंदोलनकारियों को जो गोली मारी गयी है, वह वार के लिये प्रयोग की जाती है. पहाड़ी क्षेत्र के लोग जब आंदोलन करते हैं तो बिना वार्ता के ही सरकार उनकी मांग पूरी कर देती है, जबकि तराई क्षेत्र के लोगों का आंदोलन 49 दिन से चल रहा है. अभी तक वार्ता भी नहीं हुयी.

नये संविधान से संबंधों पर भी संकट
श्री यादव ने कहा कि नेपाल में नये संविधान के चलते यूपी-बिहार से हमारे संबंधों पर भी प्रभाव पड़ेगा. अभी तक दोनों तरफ के लोगों में हर साल नये रिश्ते भी बनते हैं. संविधान में प्रावधान किया गया है कि भारत के किसी राज्य की लड़की का विवाह नेपाल में होगा तो उसे तत्काल वहां की नागरिकता नहीं मिलेगी. निर्धारित समय के बाद नागरिकता मिलेगी, लेकिन वह नेपालियों के समान नहीं होगी. कहा कि नेपाल की सत्ता हमारा संबंध तोड़ना चाहती है. वहां हमारे दमन की प्रक्रिया पिछले ढाई सौ वर्ष से चल रही है.

यूपी-बिहार पर भी पड़ेगा असर
नेपाल की अस्थिरता का असर यूपी और बिहार पर भी पड़ेगा. श्री यादव ने कहा कि मधेसी आंदोलन दिनों-दिन बढ़ रहा है. गांधी जयंती के दिन मुजफ्फरपुर पहुंचे श्री यादव ने कहा कि महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन की तर्ज पर नेपाल में भी अब असहयोग आंदोलन शुरू होगा. नाके के बॉर्डर पर हजारों लोग फंसे हुए हैं. सारी व्यवस्था ठप हो चुकी है. कहा, मधेसी समाज की मांग है कि नेपाल में चेहरे व रंग के आधार पर उत्पीड़न बंद हो और आबादी के हिसाब से अधिकार मिले.

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