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मुंशी सिंह विधि काॅलेज के प्राचार्य पर 25 हजार जुर्माना

मुजफ्फरपुर: महाविद्यालय के विकास कोष से संबंधित सूचना देर से व गलत देने के मामले में राज्य सूचना आयोग ने लोक सूचना पदाधिकारी सह प्राचार्य मुंशी सिंह विधि महाविद्यालय-मोतिहारी, पूर्वी चंपारण पर 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है. आदेश की प्रति बीआए विश्वविद्यालय के कुलपति को भेजते हुए कहा गया है कि प्राचार्य के […]

मुजफ्फरपुर: महाविद्यालय के विकास कोष से संबंधित सूचना देर से व गलत देने के मामले में राज्य सूचना आयोग ने लोक सूचना पदाधिकारी सह प्राचार्य मुंशी सिंह विधि महाविद्यालय-मोतिहारी, पूर्वी चंपारण पर 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है. आदेश की प्रति बीआए विश्वविद्यालय के कुलपति को भेजते हुए कहा गया है कि प्राचार्य के वेतन से इसकी कटौती कर आयोग को अनुपालन प्रतिवेदन भेजें. साथ ही प्राचार्य को एक पक्ष के अंदर सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. इस मामले में अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी.
जन सूचना अधिकार के तहत 10 नवंबर 2012 को सूचना मांगी गई थी कि विकास कोष की संपूर्ण राशि क्या महाविद्यालय को लौटा दी गई है. यदि नहीं तो इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति का नाम, पदनाम व कारण पूछा गया था. इसके जवाब में जो सूचना उपलब्ध कराई गई थी उसे आयोग ने 25 मई 2015 को ही अस्वीकृत कर दिया था. साथ ही लोक सूचना पदाधिकारी को सही सूचना देने के लिए आदेश दिया था. हालांकि इसके बाद भी सही सूचना नहीं दी गई. वैसे गलत सूचना पर भी अपीलकर्ता ने उनको प्राप्ति रसीद में यह लिखकर दे दिया है कि वे सूचना से संतुष्ट है. आयोग ने इसे स्वत: संज्ञान में लेते हुए महसूस किया कि जो सूचना दी गई है वह मांगी गई सूचना नहीं है.
आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि महाविद्यालय के विकास कोष की राशि कर्मचारियों के बकाये वेतन के भुगतान के लिए नहीं होती है. ऐसी स्थिति में स्पष्ट होता है कि प्राचार्य द्वारा बिना किसी प्राधिकार के गलत कोष से भुगतान किया गया है. इसके बाद भी इस राशि को विकास कोष में जमा किया गया है या नहीं, इसकी भी सूचना नहीं दी गई. ऐसे में सूचना देने में अकारण विलंब व गलत सूचना देने के लिए अधिनियम की धारा-20-1 के तहत 250 रुपये प्रतिदिन की दर से 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है.

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