वे पुलिस की मंशा समझते थे, इसलिए तैयार नहीं हुए.श्री चक्रवर्ती ने बताया कि 26 नवंबर 2012 को उनके घर के पास ही नाले में कंकाल फेंका गया था. पुलिस ने इसको कब्जे में लेकर जांच के लिए भिजवा दी. दावा किया गया कि नवरुणा की हत्या हो चुकी है और यह कंकाल उसी का है. पुलिस ने कंकाल को फॉरेंसिक जांच के लिए भिजवा दिया. इसके बाद उनके कोई संपर्क नहीं किया. बताया कि 28 दिसंबर को अचानक मीडिया के लोग उनके घर पहुंचकर फॉरेंसिक रिपोर्ट के बारे में पूछने लगे, जबकि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं थी. जब एसपी को फोन किया तो उनका कहना था कि फॉरेंसिक रिपोर्ट आ गयी है, जिसमें कंकाल किसी 13 से 15 साल की बच्ची के होने की पुष्टि हुई है. साथ ही यह भी बताया कि बरामद होने से 15-20 दिन पहले उसकी हत्या की है.
श्री चक्रवर्ती ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि फॉरेंसिक रिपोर्ट के बारे में पुलिस अधिकारी ने उनकी बजाय मीडिया को पहले सूचना देने सही समझा. कहा कि 29 दिसंबर को जांच अधिकारी उपेंद्र कुमार उनके घर पहुंचे और डीएनए टेस्ट कराने का दबाव बनाने लगे. उनके इनकार करने पर पुलिस ने चार जनवरी 2013 को कोर्ट में आवेदन देकर डीएनए टेस्ट कराने की अनुमति मांगी, जिसमें सात जनवरी को कोर्ट ने ऑर्डर भी दे दिया.