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अंक गायब, मिलेगा औसत अंक

बीआरए बिहार विवि : वीसी की अध्यक्षता वाले परीक्षा बोर्ड की हरी झंडी मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि में स्नातक पार्ट वन, टू व थ्री के सैकड़ों छात्रों को बड़ी राहत मिली है. ये वो छात्र हैं, जिन्होंने परीक्षा दी थी. मेमो में भी उनका नाम है. लेकिन मार्क्‍स फाइल से उनका नाम गायब है […]

बीआरए बिहार विवि : वीसी की अध्यक्षता वाले परीक्षा बोर्ड की हरी झंडी
मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि में स्नातक पार्ट वन, टू व थ्री के सैकड़ों छात्रों को बड़ी राहत मिली है. ये वो छात्र हैं, जिन्होंने परीक्षा दी थी. मेमो में भी उनका नाम है. लेकिन मार्क्‍स फाइल से उनका नाम गायब है व उनकी उत्तरपुस्तिका भी नहीं मिल रही है.
कुलपति डॉ पंडित पलांडे की अध्यक्षता वाली परीक्षा बोर्ड ने ऐसे छात्रों को औसत अंक देने का फैसला लिया है. औसत अंक संबंधित विषय के उपलब्ध पेपर में आये अंक के आधार पर दिया जायेगा. ऐसे छात्रों की संख्या कितनी है, इसका रिकॉर्ड तैयार करने की जिम्मेदारी परीक्षा विभाग को सौंपी गयी है.
कुलानुशासक डॉ सतीश कुमार राय ने बताया कि रिकॉर्ड तैयार होने के बाद उन्हें औसत अंक देने की प्रक्रिया शुरू होगी. प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसे पुन: परीक्षा बोर्ड में रख कर मंजूरी ली जायेगी. बोर्ड ने कॉपी कैसे गायब हुई व इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसे चिह्न्ति करने की जिम्मेदारी भी परीक्षा विभाग को ही दी गयी है.
उनके नाम बोर्ड की अगली बैठक में रखा जायेगा, जहां उन पर कार्रवाई पर फैसला होगा. प्रभात खबर ने नौ अगस्त के अपने अंक में ही खुलासा किया था कि स्नातक के सैकड़ों छात्रों की कॉपियां व मार्क्‍स गायब हैं. विवि प्रशासन इन सभी को औसत अंक देने पर विचार कर रहा है.
सॉफ्टवेयर खरीद की जिम्मेदारी एफओ को.परीक्षा बोर्ड में विवि के परीक्षा सिस्टम को पूरी तरह कंप्यूटरीकृत करने के लिए सॉफ्टवेयर खरीदने का प्रस्ताव रखा. इसमें वित्त अधिकारी राजनारायण प्रसाद सिन्हा के एनआइसी (नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर) से सॉफ्टवेयर खरीदने के प्रस्ताव पर विचार हुआ. सदस्यों ने इसकी सराहना की. कुलपति ने इसके लिए पहल की जिम्मेदारी वित्त अधिकारी को ही सौंप दी है.
दो मार्क्‍स देने के मामले में होगी कार्रवाई. बैठक में स्नातक की परीक्षा में एक ही रौल नंबर पर दो-दो अंक देने के मामले में संबंधित लोगों पर कार्रवाई का फैसला हुआ है. इसके लिए परीक्षा विभाग को दो अंक पाने वाले रौल नंबर की संख्या का पता लगाने व इसके लिए जिम्मेदार लोगों को चिह्न्ति करने की जिम्मेदारी दी गयी है.
रौल नंबर होने के बावजूद अंक नहीं चढ़ाने वाले टेबुलेटर पर भी कार्रवाई होगी. गौरतलब है कि वित्त अधिकारी राजनारायण प्रसाद सिन्हा ने ऐसे छात्रों के स्पेशल टेबुलेटिंग की राशि के भुगतान पर आपत्ति जतायी थी.
कॉलेज के शिक्षक ही बनेंगे पर्यवेक्षक. बीएड की प्रायोगिक परीक्षा में अब कॉलेज के प्राध्यापक भी परीक्षक बन सकेंगे. हालांकि इसके लिए उन्हें पांच साल का अध्यापन का अनुभव जरू री होगा. पहले प्रायोगिक परीक्षा में बाहर के शिक्षकों को ही परीक्षक बनाये जाने का प्रावधान था.
परीक्षा बोर्ड ने इससे छूट दे दी है. बैठक में प्रतिुकुलपति डॉ प्रभा किरण, कुलानुशासक डॉ सतीश कुमार राय, विकास अधिकारी डॉ कल्याण कुमार झा, परीक्षा नियंत्रक डॉ पंकज कुमार, मानवीकी के डीन डॉ केएस झा, साइंस के डीन डॉ अमरेंद्र नारायण यादव, कॉमर्स के डीन डॉ रामचंद्र सिंह व सामाजिक विज्ञान के डीन डॉ एनपी चौधरी शामिल थे.
पीआरडी कॉलेज के प्राचार्य को शो कॉज
स्नातक पार्ट थर्ड की परीक्षा में एलएसडब्ल्यू की प्रायोगिक परीक्षा कॉलेज में ही ले लेने के मामले में प्रिया रानी डिग्री कॉलेज के प्राचार्य को शो कॉज करने का फैसला लिया गया है. यही नहीं, मामले की जांच की जिम्मेदारी मानविकी के डीन डॉ केएस झा को दी गयी है. प्राचार्य का जवाब व डीन की रिपोर्ट आने तक इस विषय की परीक्षा देने वाले 28 परीक्षार्थियों का रिजल्ट रुका रहेगा.
गौरतलब है कि विवि प्रशासन ने एलएसडब्ल्यू की प्रायोगिक परीक्षा के लिए जिला मुख्यालय के एक कॉलेज को केंद्र घोषित किया था. लेकिन प्रिया रानी डिग्री कॉलेज प्रबंधन ने इसकी अनदेखी कर अपने ही कॉलेज में परीक्षा ले ली थी. उस पर पार्ट वन व टू की परीक्षा में भी ऐसा ही करने का आरोप है.
आरटीआइ से कॉपी मिलने की आज जारी होगी अधिसूचना
11 अगस्त को फाइनेंस कमेटी ने आरटीआइ के तहत मिलने वाली कॉपी का दर तीन सौ रुपये प्रति कॉपी तय की थी. परीक्षा बोर्ड ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है. गुरुवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी जायेगी.
कुलानुशासक डॉ सतीश कुमार राय ने बताया कि अधिसूचना जारी होने के बाद छात्र आवेदन देने का सिलसिला शुरू कर देंगे. 17 अगस्त तक पांच से सात लोगों को कॉपी उपलब्ध करायी जायेगी. इसके लिए परीक्षा विभाग के स्टोर में एक फोटो कॉपी मशीन रखा जायेगा. शेष छात्रों को 20 अगस्त के बाद कॉपी की फोटोकॉपी दी जायेगी.
परीक्षा विभाग ने रिजल्ट जारी होने के तीन माह के भीतर की कॉपियां ही उपलब्ध कराये जाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया. छात्र रिजल्ट जारी होने के तीन साल के भीतर की कॉपियों की फोटो कॉपी हासिल कर सकेंगे.
मूल्यांकन केंद्र का होगा विकेंद्रीकरण
परीक्षा बोर्ड ने स्नातक पार्ट वन, टू व थ्री परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन के लिए केंद्रों के विकेंद्रीकरण का फैसला लिया गया है. इसके जिला विवि के कार्यक्षेत्र में पड़ने वाले पांच जिलों, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण व पश्चिमी चंपारण में एक-एक कॉलेज को केंद्र बनाया जायेगा.
परीक्षा के बाद संबंधित जिला के केंद्र में किसी एक दूसरे जिले में स्थित कॉलेजों की कॉपियां जांच के लिए भेजी जायेगी. प्रत्येक केंद्र पर विवि की ओर से नियुक्त एक पर्यवेक्षक भी मौजूद होगा, जिसकी देख-रेख में कॉपियों की जांच होगी. यह प्रावधान सिर्फ वर्ष 2015 में होने वाली परीक्षाओं के लिए किया गया है. यदि प्रयोग सफल रहा तो इसे आगे भी लागू किया जायेगा.

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