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तीन को बंद रहेंगे को-ऑपरेटिव बैंक

मुजफ्फरपुर : फसल बीमा पर मचा बवाल थम नहीं रहा है. इस मुद्दे पर किसान, पैक्स अध्यक्ष व बैंक के अधिकारी-कर्मचारी आमने-सामने आ गये हैं. दो दिनों से फसल बीमा पर भारी बवाल के बाद मामला व उलझ गया है. तीन अगस्त को सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की सभी शाखाओं को ठप किया जायेगा. हड़ताल पर […]

मुजफ्फरपुर : फसल बीमा पर मचा बवाल थम नहीं रहा है. इस मुद्दे पर किसान, पैक्स अध्यक्ष व बैंक के अधिकारी-कर्मचारी आमने-सामने आ गये हैं. दो दिनों से फसल बीमा पर भारी बवाल के बाद मामला व उलझ गया है. तीन अगस्त को सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की सभी शाखाओं को ठप किया जायेगा. हड़ताल पर जाने की सूचना सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक को दे दी गई.

सूचना मिलने के बाद सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक अधिकारी कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर प्रबंधक निदेशक जवाहर प्रसाद ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन स्थिति संभलने के बजाय और बिगड़ गई है. कर्मचारियों ने स्पष्ट कहा, उन लोगों को जान मारने की धमकी दी जा रही है. ऐसे में काम का माहौल ही समाप्त हो गया है. अपनी जान बचाये या किसानों का फसल बीमा करें. शाखा के कर्मचारियों व अधिकारियों में काफी भय का माहौल है.

काम करने के लिए शाखा में नहीं जा रहे हैं. यह मामला किसी एक शाखा का नहीं, जिले के सभी शाखा के कर्मचारियों के साथ है. ऐसे माहौल में काम नहीं किया जा सकता है. कर्मचारियों ने साफ कहा है कि यह एक दिन की सांकेतिक हड़ताल है. सेमरा नरवारा पैक्स अध्यक्ष अखिलेश कुमार सिंह पर उचित कार्रवाई नहीं होगी, तो आगे अनिश्चिकालीन हड़ताल पर जायेंगे. र्दुव्‍यवहार हुआ है, इंसाफ चाहिए.

आधा-अधूरा कागज था, कैसे होगा बीमा : सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक जवाहर प्रसाद ने बताया कि फसल बीमा को लेकर जगह-जगह बैंक अधिकारियों व कर्मियों के साथ र्दुव्‍यवहार हुआ है.

सूचना मिलने के बाद कर्मचारियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन सहमति नहीं बनी है. बीमा को लेकर आनन-फानन में पैक्स अध्यक्ष आधा अधूरा कागज फेंक कर चले गये. ऐसे में बीमा कैसे किया जा सकता है. लोग नियम के विपरीत काम कराना चाह रहे थे. बीमा सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों को करना था.

हमें जैसी सूचना मिल रही है, एक हजार किसानों का फसल बीमा हुआ है. लेकिन अन्य बैंकों में जाने की हिम्मत पैक्स अध्यक्ष व किसानों को नहीं है. किसानों को अपने नजदीकी किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंकों से बीमा कराना था. लेकिन सभी केवल सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक पर निर्भर हो गये हैं.

किसानों के लिए बैंकों को सहानुभूति नहीं : जानकारी हो कि 31 जुलाई को फसल बीमा की अंतिम तिथि थी.अधिकारी किसानों को टरकाते रहे. कागजों का खेल खेलते रहे. लेकिन, किसानों के प्रति बैंक अधिकारी, प्रखंड के सीओ, बीडीओ, बीएओ, बीसीओ ने फसल बीमा को लेकर कोई सहानुभूति नहीं दिखायी. किसान परेशान रहे. मोतीपुर व सकरा प्रखंड में हंगामा हुआ. बीमा की कोई सूचना पहले से नहीं थी. आनन-फानन में चंद किसानों का बीमा हुआ. बाकी किसान निराश रहे.

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