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‘परवरिश’ को खोजने से भी नहीं मिल रहे बेसहारा बच्चे

मुजफ्फरपुर: सड़क किनारे फुटपाथ पर कचरा बीनते या फिर होटल-ढाबों पर बर्तन साफ करते हर कदम पर अनाथ-बेसहारा बच्चे दिख जाएंगे. कुछ के सिर पर किसी अपने का साया ही नहीं है, तो कुछ ऐसे हैं जो नन्हें कंधों पर ही परिवार का बोझ उठाते हैं. यह समाज में गरीब-बेसहारा बच्चों की स्थिति का जमीनी […]

मुजफ्फरपुर: सड़क किनारे फुटपाथ पर कचरा बीनते या फिर होटल-ढाबों पर बर्तन साफ करते हर कदम पर अनाथ-बेसहारा बच्चे दिख जाएंगे. कुछ के सिर पर किसी अपने का साया ही नहीं है, तो कुछ ऐसे हैं जो नन्हें कंधों पर ही परिवार का बोझ उठाते हैं. यह समाज में गरीब-बेसहारा बच्चों की स्थिति का जमीनी सच है, जबकि दूसरा पहलू चौंकाने वाला है. अनाथ, बेसहारा व दुसाध्य रोग से पीड़ित बच्चों की देखरेख व संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने पिछले साल ‘परवरिश’ योजना की शुरुआत की, लेकिन मुजफ्फरपुर में खोजने से भी बच्चे नहीं मिल रहे हैं.
समाज कल्याण निदेशालय के अधीन संचालित ‘परवरिश’ योजना के लिए पात्र बच्चों की तलाश व लाभ देने की जिम्मेदारी बाल संरक्षण इकाई को दी गई है. पिछले साल जब योजना शुरू हुई तो विभाग ने सभी प्रखंड व पंचायतों में जागरूकता के लिए प्रचार-प्रसार किया. पहले सत्र में 850 लाभुकों की तलाश का लक्ष्य तय किया गया. यानि, जिले की सभी सीडीपीओ को 50-50 का लक्ष्य दिया गया था. यहां की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को देखते हुए उम्मीद थी कि लक्ष्य पूरा भी कर लेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. डेढ़ साल बाद भी भी केवल 48 बच्चों को ही योजना का लाभ मिल रहा है. बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक रोजी रानी का कहना है कि योजना का प्रचार-प्रसार व्यापक तरीके से कराया जा रहा है. अभी विभाग को दर्जन भर आवेदन मिले हैं, लेकिन कागजी प्रक्रिया के चलते देर हो रही है.
अनुदान की राशि
इस योजना के तहत चयनित बच्चों के पालन-पोषण के लिए अनुदान को दो कैटेगरी में बांट दिया गया है. पहली कैटेगरी शून्य से छह वर्ष के बच्चों की है, जिन्हें 900 रुपये महीने दिये जाना है. इसके बाद छह से 18 वर्ष तक बच्चों को 1000 रुपये हर महीने दिया जाएगा. पहली बार अनुदान की स्वीकृति केवल 12 महीने के लिए होती है. इसके बाद सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई अनुदान के सही उपयोग की रिपोर्ट पर ही नवीनीकरण की संस्तुति करेंगे. यह धनराशि लाभुक व अभिभावक के नाम से खुले संयुक्त खाते में ही भेजा जाता है.
कैसे करें आवेदन
इस योजना का लाभ लेने के लिए सहायक निदेशक-जिला बाल संरक्षण इकाई, समेकित बाल विकास परियोजना के कार्यालय अथवा आंगनबाड़ी केंद्र से नि:शुल्क आवेदन पत्र उपलब्ध कराया जा रहा है. संबंधित दस्तावेज के साथ आवेदन पत्र को संबंधित आंगनबाड़ी केंद्र पर जमा किया जा सकता है, जहां से जांच के बाद आवेदन बाल संरक्षण इकाई को भेजा जाता है.
आंगनबाड़ी को भी लाभ
योजना का लाभ अधिक से अधिक बेसहारा बच्चों को मिले, इसके लिए आंगनबाड़ी सेविका को एक लाभार्थी पर 50 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. उसे आवेदन को 15 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट के साथ कार्यालय में जमा करा देना है.

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