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वीसी से मिले विजेंद्र, खेला जातिवादी कार्ड

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि में राजनेताओं का दौरा अब जातिगत रू प लेने लगा है. वे जाति के आधार पर अधिकारियों का खुल कर समर्थन व विरोध करने लगे हैं. इसकी पहली झलक शुक्रवार को देखने को मिली. पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी देर शाम कुलपति डॉ पंडित पलांडे से मिले व परीक्षा नियंत्रक डॉ […]

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि में राजनेताओं का दौरा अब जातिगत रू प लेने लगा है. वे जाति के आधार पर अधिकारियों का खुल कर समर्थन व विरोध करने लगे हैं. इसकी पहली झलक शुक्रवार को देखने को मिली. पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी देर शाम कुलपति डॉ पंडित पलांडे से मिले व परीक्षा नियंत्रक डॉ पंकज कुमार का खुल कर समर्थन किया. डॉ कुमार को पद से हटाना चाहते हैं.
इसी उद्देश्य से उन्होंने कुलपति से मुलाकात की थी. लेकिन कैंपस में दबाव की राजनीति नहीं चलेगी. डॉ पंकज कुमार कायस्थ समुदाय से आते हैं. यदि उन्हें पद से हटाया गया तो इस समुदाय में गलत संदेश जायेगा. नगर विधायक को इसका चुनावी राजनीति में भी नुकसान होगा. उन्होंने कुलपति को निर्भिक होकर काम करने की सलाह दी और कहा, हर अच्छे काम के लिए वे व मुजफ्फरपुर की जनता उनका समर्थन करेगी. कुलपति के बाद श्री चौधरी डॉ पंकज कुमार से भी मिले और उन्हें निर्भिक होकर काम करने की सलाह दी.
यह पहला मौका है जब किसी राजनेता ने खुल कर जातिगत आधार पर विवि अधिकारी का समर्थन किया है. इससे पूर्व गत 15 मई को लालगंज के पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला व विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर ने व 16 मई को नगर विधायक सुरेश शर्मा ने कुलपति डॉ पंडित पलांडे के साथ वार्ता की थी.
उस समय भी चर्चा थी कि ये राजनेता किसी ‘खास’ अधिकारी के समर्थन आये हैं. लेकिन किसी राजनेता ने इसे खुल कर नहीं स्वीकारा. उनका कहना था कि वे विवि में व्याप्त गड़बड़ियों को दूर करने की मांग लेकर कुलपति के पास पहुंचे थे व उन्हें अपना समर्थन देने की बात कही थी.
गुटबाजी से पूर्व कुलानुशासक ने छोड़ी थी कुरसी
पूर्व नगर विधायक के परीक्षा नियंत्रक के पक्ष में खुल कर उतरने से अधिकारियों की गुटबाजी सतह पर आ गयी है. पिछले दिनों डॉ अजय कुमार श्रीवास्तव का कुलानुशासक के पद से इस्तीफा इसी गुटबाजी का नतीजा माना जा रहा है.
दरअसल, जब मार्च महीने में वीसी बीमारी के कारण लंबी छुट्टी पर थे, तो कई महत्वपूर्ण संचिकाएं लंबित हो गयी थीं. इसके बाद प्रोवीसी ने राजभवन से नीतिगत व वित्तीय मामलों के निष्पादन से संबंधित दिशा-निर्देश मांगा था.
इससे विवि अधिकारियों का एक गुट उनसे नाराज था. इस गुट का मानना था कि परदे के पीछे इस खेल में डॉ अजय कुमार श्रीवास्तव भी शामिल थे. उनके इस्तीफे के बाद कैंपस में इस चर्चा को और भी ‘हवा’ दी.

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