संवाददाता,मुजफ्फरपुर सुरेश अंचल की 22 वीं पुण्यतिथि पर डॉ. महेंद्र मधुकर की कविता हे बिहार के क्रांतिदूत तुम छोड़ गये हो कृति धवन, याद बहुत आते हो सबको प्यारे बंधु सुरेश अचल.राजनीति को नई दिशा दी और मनुष्य को महिमा दी, हारे थके गिरे पिछड़ों को तुमने सच्ची गरिमा दी.तेरी आंखों के करुणा जल से कविता गंगा फूटी, नव समाज का सृजन किया तो कई अगलिएं टूटी.तेरी कविता में प्रकृति-नदी का नृत्य दिखाई पड़ता है, बदली ऋतुओं का नदियों का बेकल रुप उमड़ता है. पुरवा पछिया के झोंकों सी यह कविता छू जाती है. बादल से लट के हटते ही चंद्र किरण मुस्काती है. गांव गंवई से शहर मुहल्लों तक पदचाप सुनी हमने, तुमने जैसी राह दिखाई वैसी आज चुनी हमने. जीवन में हो शांति भले ही हरदम चलता समर रहे, पथ निर्देशक बन सुरेश यह मेरा अविचल अमर रहे.
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याद बहुत आते हो सबको प्यारे बंधु सुरेश अंचल
संवाददाता,मुजफ्फरपुर सुरेश अंचल की 22 वीं पुण्यतिथि पर डॉ. महेंद्र मधुकर की कविता हे बिहार के क्रांतिदूत तुम छोड़ गये हो कृति धवन, याद बहुत आते हो सबको प्यारे बंधु सुरेश अचल.राजनीति को नई दिशा दी और मनुष्य को महिमा दी, हारे थके गिरे पिछड़ों को तुमने सच्ची गरिमा दी.तेरी आंखों के करुणा जल से […]
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